नई दिल्ली। गुजरात दंगों को लेकर फर्जी सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के बचाव में आए सिविल सोसायटी के कुछ लोगों के खिलाफ मंगलवार को 190 पूर्व जज व अफसर मैदान में आ गए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई तीस्ता की निंदा की आलोचना करना राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने तीस्ता के खिलाफ आपराधिक केस का भी समर्थन किया।
सेवानिवृत्त जजों, नौकरशाहों व पूर्व सैन्य अधिकारियों ने आज बयान जारी कहा कि गुजरात दंगा मामले की एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ व अन्य के खिलाफ एफआईआर उचित और पूरी तरह से कानून के अनुसार है। तीस्ता व अन्य को हाल ही में गिरफ्तार किया जा चुका है। बयान में यह भी कहा गया है कि आरोपियों के पास अपने बचाव के लिए न्यायिक उपचार का अधिकार हमेशा रहता है।
न्यायपालिका पर आक्षेप लगाने का प्रयास
उन्होंने कहा कि सिविल सोसायटी के राजनीतिक रूप से प्रेरित एक वर्ग ने न्यायपालिका पर आक्षेप लगाने का प्रयास किया है। इन लोगों ने न्यायपालिका की उन टिप्पणियों को हटाने के लिए दबाव डालने का प्रयास किया है, जो झूठे सबूत गढ़ने वाले सीतलवाड़ और दो दोषी पूर्व-आईपीएस के प्रतिकूल हैं।
190 पूर्व न्यायाधीशों, अफसरों व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने न्याय क्षेत्र में आने वाले मामले में कार्रवाई की है। उसकी कार्यवाही में संशोधन के लिए कोई भी कार्रवाई एक नियमित प्रक्रिया की तरह की जाना चाहिए, भले ही सिविल सोसायटी का उक्त वर्ग दावा करता हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश के नागरिक परेशान और निराश हैं।
न्यायपालिका में हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं
13 रिटायर्ड जजों, 90 पूर्व नौकरशाहों और 87 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि कानून का पालन करने वाले नागरिक न्यायपालिका का काम बाधित करने के प्रयास से परेशान और निराश हैं।
‘न्यायपालिका में हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं’ (Interference in judiciary not acceptable) शीर्षक से जारी बयान पर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरएस राठौर, एसएन ढींगरा और एमसी गर्ग, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव त्रिपाठी, सुधीर कुमार, बी एस बस्सी और करनाल सिंह, पूर्व आईएएस अधिकारी जी प्रसन्ना कुमार और प्रेमा चंद्रा और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वी के चतुर्वेदी ने दस्तखत किए हैं।
बता दें, कई मानवाधिकार समूहों और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने सीतलवाड़ और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की आलोचना की थी।
पीएम मोदी को क्लीनचिट बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा था और मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था।
इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को तूल देने वाले सीतलवाड़ और गुजरात के असंतुष्ट अधिकारियों को भी फटकार लगाई थी। शीर्ष कोर्ट ने ऐसे लोगों को कटघरे में खड़ा करने की जरूरत भी बताई थी। कोर्ट की टिप्पणियों के बाद गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार व अन्य के खिलाफ केस दायर कर उन्हें गिरफ्तार किया है।