नई दिल्ली। डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू की ओर से कहा गया है कि 2 लाख रुपए तक की सोने और चांदी की खरीदारी पर ग्राहक को PAN और आधार देने की जरूरत नहीं है, यानी किसी KYC की कई अनिवार्यता नहीं है।
सूत्रों के अनुसार 28 दिसंबर 2020 को एक नोटिफिकेशन प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत जारी किया गया था, इसमें कहा गया था कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने सोने-चांदी के डीलर्स से कहा है कि ऐसे कस्टमर्स का KYC और ड्यू डिलिजेंस करें जो 10 लाख रुपए से ज्यादा का कैश ट्रांजैक्शन करें।
FATF मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर रखती है नजर
FATF वो संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखती है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक सरकार संस्था है जो गैर-कानूनी तरीके से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर काम करती है।
DPMS सेक्टर के लिए एक सुझाव ये भी है कि उन्हें कस्टमर का ड्यू डिलिजेंस (CDD) की शर्तों को पूरा करना होगा, अगर वो एक तय सीमा (डॉलर/यूरो 15,000) से ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन करते हैं। भारत भी 2010 से FATF इसका सदस्य है।
2 लाख से ज्यादा के नगद लेनदेन की इजाजत नहीं
सूत्रों का कहना है कि मीडिया में कई जगह कहा जा रहा है कि सोने और चांदी में 2 लाख रुपए से कम की खरीदारी पर भी KYC अनिवार्य है, जबकि ऐसा नहीं है। इसके अलावा भारत में इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 269ST के तहत 2 लाख रुपए से ज्यादा के नगद लेनदेन की इजाजत नहीं है।
इसी तरह डीलर अगर 2 लाख रुपए से ज्यादा कैश नहीं ले रहे हैं तो वो इनकम टैक्स एक्ट के मौजूदा कम्प्लाइंस के मुताबिक ही है, उस पर ये नोटिफिकेशन लागू नहीं होता है। इसलिए सोने के मामले में भी 2 लाख रुपए से ज्यादा के नगद लेन-देन पर KYC डॉक्यूमेंट्स जरूरी होता है। इससे कम की खरीदारी पर KYC जरूरी नहीं है।
क्या है मामला?
वित्त मंत्रालय ने 28 दिसंबर को गोल्ड ट्रेड को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार संदिग्ध खरीद या लेन-देन पर एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के पास यह अधिकार है कि वह बिना दस्तावेज के गोल्ड ट्रेड की जांच कर सके। नोटिफिकेशन के अनुसार, ट्रांजैक्शन का हिसाब-किताब अब ज्वैलर्स को अपने पास रखना होगा।
10 लाख तक की खरीद पर KYC जरूरी नहीं
इस नोटिफिकेशन के बाद लोगों को लगने लगा कि सोना खरीदने के लिए KYC जरूरी होगी। जबकि सरकार का कहना है कि एक महीने में 10 लाख से ज्यादा की खरीद पर ही KYC की मांग की जाएगी।
भारत में सालाना 850 टन तक सोने की खपत होती है
सरकार सोने को एसेट क्लास के रूप में डेवलप करने के लिए एक व्यापक गोल्ड पॉलिसी बनाने की योजना बना रही है। यानी यह अघोषित संपत्ति नहीं रह जाएगी बल्कि एक निवेश और लग्जरी होल्डिंग होगी। भारत में हर साल 800 से 850 टन सोने की खपत होती है।