लखनऊ । एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के निजी सचिव के रूप में कार्यरत विशंभर दयाल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दो निलंबित पुलिसकर्मियों सहित दस लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। दयाल ने 30 अगस्त को बापू भवन स्थित अपने कार्यालय में खुद को गोली मार ली थी। दयाल ने अपने सुसाइड नोट में उन्नाव के औरास थाने के पुलिसकर्मियों पर एक मामले में उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया था, जो उनकी बहन का अपने पति के रिश्तेदारों के साथ संपत्ति विवाद से जुड़ा था।
राज्य सरकार ने लखनऊ रेंज के महानिरीक्षक (आईजी) लक्ष्मी सिंह को मामले की जांच करने को कहा था। जांच के बाद स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) औरस, हरि प्रसाद अहिरवार और एक सब इंस्पेक्टर तमीजुद्दीन को शिथिलता के लिए निलंबित कर दिया गया।
उन्नाव पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि किसी भी मामले में दयाल का नाम नहीं है। उन्नाव पुलिस ने दावा किया कि दयाल की बहन राम देवी का उनके परिवार के साथ संपत्ति से संबंधित मुद्दा था और दोनों पक्षों ने क्रॉस एफआईआर दर्ज की थी।
उन्नाव पुलिस ने कहा कि 2019 में इस संबंध में दर्ज एक मामले में दयाल का भी नाम लिया गया था लेकिन बाद में उसका नाम हटा दिया गया था। पुलिस ने कहा कि राम देवी के परिवार के सदस्यों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत एक और मामला दर्ज किया गया है।
दयाल के भाई ओम प्रकाश ने मंगलवार को पूर्व एसएचओ औरास, हरि प्रसाद अहिरवार और एसआई तमीजुद्दीन के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जिन्हें पहले ही निलंबित कर दिया गया था। प्राथमिकी में शामिल अन्य लोगों में सूरत, बाबूलाल, पप्पू गौतम, बृजेश चौरसिया, सतीश कुमार, रमा शंकर, संजीव यादव और सतीश कुमार शामिल हैं।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी), मध्य क्षेत्र, राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि सभी नामित व्यक्तियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, और भ्रष्टाचार अधिनियम रोकथाम के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।