2024 जीतने में करेंगे भाजपा की मदद, अखिलेश की वजह से छोड़ी थी सपा !

नोएडा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुद को और मजबूत करने में जुट गई है। खासकर लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जरों के कद्दावर नेता नरेंद्र भाटी को विधान परिषद भेजकर जातीय समीकरण को साधने का प्रयास किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जरों की बहुलता है। ऐसे में नरेंद्र सिंह भाटी के बहाने लोकसभा चुनाव 2024 में गुर्जर वोट बैंक का लाभ लेने की तैयारी में है।

कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी थे नरेंद्र सिंह भाटी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज गुर्जर नेताओं में शुमार नरेंद्र सिंह भाटी को वर्ष 2017 तक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता था, लेकिन अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी की कमान संभालने के साथ ही दूरी बनती गई। बताया जाता है कि निजी तौर पर नरेंद्र सिंह भाटी के मुलायम सिंह यादव से मधुर रिश्ते हैं, लेकिन कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल होने के साथ राजनीतिक तौर पर दूरी बढ़ गई है।

अब स्थिति यह बन गई है कि जिन दिग्गज गुर्जर नेता नरेंद्र सिंह भाटी से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने दूरी बनाई, वही नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर समाज में अच्छा खासा दखल रखते हैं और आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बड़ा दांव साबित होने जा रहे हैं।

मुलायम से दूर होने के साथ गिरने लगा सपा का ग्राफ

वहीं, गुर्जर बिरादरी से नरेंद्र भाटी दूसरे ऐसे नेता है, जिन्हें भाजपा ने विधान परिषद भेजा है। नरेंद्र भाटी कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। 2018 में उनके द्वारा सपा से दूरी बनाने के बाद से ही पश्चिमी उप्र में सपा के ग्राफ में कमी आयी। हालांकि सपा ने 2014 में गुर्जरों के दूसरे कद्दावर नेता सुरेंद्र नागर को पार्टी में शामिल करा कर स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया।

सुरेंद्र नागर को सपा ने राज्यसभा भी भेजा, लेकिन कुछ समय बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र भाटी भी सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। गौतमबुद्ध नगर को गुर्जर बहुल माना जाता है। यहां से सांसद डाक्टर महेश शर्मा ब्राह्मण जाति से हैं। उनके अलावा ब्राह्मण जाति से विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा भी हैं। वह मेरठ-सहारनपुर मंडल शिक्षक सीट से विधान परिषद सदस्य हैं। इसी तरह ठाकुर बिरादरी से नोएडा विधायक पंकज सिंह व जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह हैं।

भाजपा से नाराज गुर्जरों को साधने में सफर रहे नरेंद्र सिंह भाटी

विधानसभा चुनावों में जाटों की भाजपा के प्रति नाराजगी देखने को मिली। गुर्जर भी पहले नाराज थे, लेकिन बाद में गुर्जरों ने भाजपा को वोट दिया। वहीं, अब जाटों को छिटकता देख भाजपा ने अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरी जातियों को साधने पर बल दिया है। पहले शामली के रहने वाले वीरेंद्र सिंह गुर्जर को विधान परिषद भेजा। अब नरेंद्र भाटी को विधान परिषद भेजा जा रहा है।

उनका बुलंदशहर-गौतमबुद्ध नगर विधान परिषद (निकाय) सीट से निर्विरोध चुना जाना तय है। उनके सामने पर्चा दाखिल करने वाली रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी सुनीता शर्मा व दो अन्य निर्दलीयों ने अपने पर्चे वापस ले लिए हैं। इससे उनका विधान परिषद में जाना तय हो गया है। कहा जा रहा है कि मिहिर भोज मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से नाराज गुर्जरों को मनाने में नरेंद्र सिंह भाटी ने अहम भूमिका निभाई थी और यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वेस्ट यूपी में गुर्जरों ने जमकर भाजपा को वोट दिए।

नरेंद्र भाटी कई राज्यों में दिला सकते हैं भाजपा को लाभ

गुर्जर जाति से अभी अकेले तेजपाल नागर हैं। हालांकि, राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर भी गुर्जर हैं, लेकिन जिला स्तर पर तेजपाल नागर अभी अकेले विधायक हैं। अब नरेंद्र भाटी के विधान परिषद सदस्य बनने से जिले की तीनों बड़ी जातियों में संतुलन बन गया है।

बताया जाता है कि नरेंद्र भाटी को पहले भाजपा में शामिल कराने और बाद में विधान परिषद निकाय सीट के लिए टिकट दिलवाने में सांसद डाक्टर महेश शर्मा की अहम भूमिका रही। भाजपा को इसका लाभ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में भी मिल सकता है।

गौतमबुद्धनगर में नरेंद्र भाटी ने किया था सपा को खड़ा

इसमें कोई दो राय नहीं है कि गौतमबुद्धनगर में समाजवादी पार्टी को खड़ा करने वाले नेता नरेंद्र सिंह भाटी ही थे।नरेंद्र सिंह भाटी सिकंद्राबाद विधान सभा सीट से तीन बार विधायक रहे। पहले मुलायम सिंह यादव और बाद में अखिलेश यादव सरकार में भी नरेंद्र भाटी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला।

गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से भी वे दो बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़े। नरेंद्र भाटी ही वो नेता है, जिन्होंने गौतमबुद्धनगर में सपा को खड़ा करने का काम किया था। 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गौतमबुद्धनगर से ही अपनी साइकिल यात्रा शुरू की थी। इसके बाद वे सत्ता में आए।

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