3 किरदार से संकट में सोरेन सरकार, BJP की नजर 13 असंतुष्ट विधायकों पर

रांची। चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने का फैसला राज्यपाल रमेश बैस पर छोड़ा गया है। संभवत: राज्यपाल इस पर शुक्रवार को फैसला ले लेंगे। इससे झारखंड सरकार संकट में आ गई है।

सियायी संकट के बीच सीएम हाउस में महागठबंधन विधायक दल की बैठक 11ः30 बजे से होने वाली है। इस बैठक में जेएमएम, कांग्रेस और राजद के विधायक मौजूद रहेंगे, जहां मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा होगी।

भाजपा ने हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लेने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद राज्यपाल ने चुनाव आयोग से इस मामले में राय मांगी थी। गुरुवार को विशेष दूत ने नई दिल्ली से रांची आकर सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग की राय राजभवन को सौंप दी है। झामुमो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी गई तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। जेएमएम ने भी अपने सभी विधायकों को रांची बुलाया है।

राज्यपाल रमेश बैस भी चार दिनों की दिल्ली यात्रा के बाद गुरुवार को रांची आ गए।
राज्यपाल रमेश बैस भी चार दिनों की दिल्ली यात्रा के बाद गुरुवार को रांची आ गए।

पहले बात उन 3 बड़े किरदार की, जिनके कारण सोरेन संकट में आई

  • रघुवर दास: 10 फरवरी को पहली बार लगाए थे आरोप: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने 10 फरवरी को सीएम हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने मीडिया को दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि हेमंत ने अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खदान की लीज ली है और चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में यह जानकारी छिपाई है। चूंकि सीएम सरकारी सेवक हैं, इसलिए लीज लेना गैरकानूनी है।
  • बाबूलाल मरांडी: दस्तावेज के साथ राज्यपाल से की शिकायत: भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और सांसद दीपक प्रकाश ने 11 फरवरी को राज्यपाल से शिकायत की। लीज के दस्तावेज सौंपते हुए हेमंत की विधायकी रद्द करने की मांग की। शपथ पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप भी लगाया।
  • निशिकांत दुबे: पीएम और गृह मंत्री तक मामले को पहुंचाया: झामुमो की संथाल की राजनीति और सांसद निशिकांत दुबे की टकराहट भी बड़ी वजह बनी। अवैध खनन पर मुखरता से उन्होंने हेमंत सोरेन पर लगातार निशाना साधा। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को भी उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तक पहुंचाया।

अब गेम में भाजपा भी: कांग्रेस और झामुमो के 13 असंतुष्ट विधायकों पर भाजपा की नजर
अब भाजपा भी गेम में उतर गई है। उसकी कांग्रेस के 10 और झामुमो के तीन असंतुष्ट विधायकों पर नजर है। क्योंकि हेमंत सोरेन अगर पत्नी का नाम आगे करते हैं तो उनके परिवार के सदस्यों के साथ ही पार्टी के विधायकों में नाराजगी हो सकती है।

शराब नीति के विरोध में झामुमो के अपने ही विधायक सरकार के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। उधर, कांग्रेस में भी 10 विधायक ऐसे हैं, जो पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हैं। अगर ये अंसतुष्ट भी एकजुट हो गए तो राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ सकती है।

गुरुवार शाम भाजपा कोर कमेटी की भी बैठक हुई। राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई। तय हुआ कि जब तक राज्यपाल अपना फैसला नहीं सुना देते, तक तक वेट एंड वॉच की स्थिति रखी जाए। राज्यपाल का फैसला आने के बाद फिर बैठक बुलाई जाएगी।

कांग्रेस को अपने विधायकों के टूटने का डर

कांग्रेस ने गुरुवार को ही अपने सभी विधायकों को रांची बुला लिया है। गुरुवार देर रात पार्टी के सभी विधायकों-मंत्रियों के साथ प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बैठक की। राज्य में बन रही मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विधायकों को रांची में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं।

देर रात कांग्रेस ने बुलाई बैठक, कहा- सभी विधायक रांची में ही रहें
हालात को देखते हुए कांग्रेस ने देर रात विधायक दल की बैठक बुलाई। वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा की। इसमें सभी विधायकों को समस्या का समाधान होने तक रांची में ही रहने को कहा गया। बैठक में 18 में से 13 विधायक मौजूद थे। तीन विधायक सस्पेंड हैं, जबकि ममता की पिछले हफ्ते ही डिलीवरी हुई है।

प्रदीप यादव बीमार हैं, लेकिन शुक्रवार सुबह तक रांची पहुंच जाएंगे। बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा-सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि आयोग ने सीएम की सदस्यता रद्द कर दी है। लेकिन ऐसा कोई नोटिस न तो सीएम को मिला है और न हमें।

सदस्यता गई तो सोरेन को सीएम पद छोड़ना होगा::

हेमंत के पास विकल्प:

  • अयोग्य ठहराए जाने के बाद सोरेन विधायक दल की बैठक बुलाएंगे। सभी विधायक उन्हें अपना नेता मानते हुए फिर से राज्यपाल के पास जाकर सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव देंगे। राज्यपाल को उक्त प्रस्ताव पर अमल करना ही होगा। राज्यपाल को विधायक दल के अनुरोध पर सोरेन को दोबारा मुख्यमंत्री बनाना ही पड़ेगा। वे अनुरोध टाल नहीं सकते। दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद सोरेन के पास 6 माह का समय होगा कि वे किसी खाली सीट पर चुनाव लड़कर दोबारा निर्वाचित हों और विधायक बनें।
  • हेमंत सोरेन विधायक दल से मिलकर अपनी जगह किसी अन्य को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दें।
  • तीसरा कानूनी रास्ता यह है कि सोरेन चुनाव आयोग और राज्यपाल की कार्यवाही को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दें। इस विकल्प में अधिक समय लग जाएगा।

गवर्नर के पास विकल्प:

  • संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत मिले अधिकार का उपयोग कर सीएम हेमंत की विधायकी खत्म करने का फैसला विधानसभा के स्पीकर को भेज सकते हैं।
  • हेमंत सोरेन को बुलाकर आयोग की अनुशंसा पर सदस्यता तत्काल खत्म करने की जानकारी दे सकते हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं।
  • कुछ निश्चित अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय भी सुना सकते हैं। विधायकी से कितने दिनों के लिए कब से कब तक अयोग्य रहेंगे, यह राज्यपाल ही तय करेंगे।

सोरेने की पत्नी का नाम सबसे आगे
अगर सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाती है तो इस पद के लिए सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।

क्या है खनन पट्टे का मामला?
0 फरवरी को पूर्व CM रघुवर दास के नेतृत्व में BJP के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात की थी। बीजेपी ने राज्यपाल से CM सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी।

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