मुजफ्फरनगर में 30 साल के बाद 80 साल के बुजुर्ग ने कोर्ट में चोरी करने के जुर्म को कबूल कर लिया। कोर्ट ने आरोपित को दोषी मानते हुए उस पर तीन हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए जेल में बिताए समय की सजा सुनाई। सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। कोर्ट उनके विरुद्ध मुकदमे को समाप्त कर चुकी है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता मरगूब अहमद के अनुसार सात सितंबर 1994 को शहर कोतवाली क्षेत्र के खालापार में रात के समय आमरा के मकान के ताले तोड़कर लाखों रुपए के जेवरात और अन्य सामान की चोरी कर ली गई थी। इस मामले में पुलिस ने विवेचना की थी। प्रकाश में आया था कि चोरी की घटना मुनव्वर, भूरा, शाहनपा और कामिल ने अंजाम दी थी।
एक आरोपित मुनव्वर को गिरफ्तार कर लिया था
पुलिस ने इस मामले में एक आरोपित मुनव्वर को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके उपरांत एक माह बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था। घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज (जूनियर डिवीजन) तुषार जयसवाल कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कोर्ट के सामने आरोपित मुनव्वर ने अपने जुर्म को स्वीकार कर लिया है। उसका कहना है कि वह इस वाद को चलाना नहीं चाहता।
सात दिन का कारावास दिये जाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया
अभियोजन के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने मुनव्वर को जुर्म कबूल करने पर जेल में बिताई अवधि की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर तीन हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर सात दिन का कारावास दिये जाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है। बताया कि सुनवाई के दौरान बाकी तीन आरोपितों की मौत हो चुकी है। जिसके चलते उनके विरुद्ध केस की कार्रवाई पहले ही समाप्त हो चुकी है।
30 साल तक लगती रही तारीख पर तारीख, बदलते रहे जज
अधिवक्ता मरगूब अहमद का कहना है कि मुकदमे की सुनवाई 30 साल तक चली। इस दौरान 300 से अधिक तारीख लगी और करीब 25 जज बदले। इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान तीन आरोपितों की मौत भी हो चुकी है।