गोरखपुर। गोरखपुर से पडरौना जाने वाली UP रोडवेज की बस में अब महिला कंडक्टर शिप्रा दीक्षित को अपनी 5 माह की बच्ची को गोद में लेकर टिकट नहीं काटना पड़ेगा। अफसरों ने उसकी तैनाती MST (मंथली सीजनल टिकट) पटल पर कर दी है। इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशन किया था। आज यानी शनिवार को शिप्रा दीक्षित ने अपने पटल के काम की जिम्मेदारी संभाली है।
अब सुकून से कर पाऊंगी नौकरी
शिप्रा दीक्षित ने बताया कि जब अपनी 5 माह की मासूम बेटी निष्ठा के साथ यात्रियों की टिकट काटने के लिए बस में चढ़ी तो मुझे उसकी जिंदगी खतरे में दिखने लगी थी। मैंने अपने अधिकारियों से निवेदन किया था कि मुझे ऑफिस में ही कोई कार्य दे दिया जाए। लेकिन अफसरों ने नहीं सुना।
मीडिया में खबर चलने के बाद अधिकारी हरकत में आए और MST पटल पर अनिश्चितकाल के लिए तैनाती की गई है। शिप्रा ने बताया कि उन्हें शुक्रवार दोपहर विभाग से इस बाबत लेटर मिला। उसने कहा कि अब मैं अपनी बेटी के साथ यहां सुकून से नौकरी कर पाऊंगी।
मृतक आश्रित कोटे के तहत मिली थी नौकरी
दरअसल, गोरखपुर में मालवीय नगर की रहने वाली शिप्रा दीक्षित की उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग में मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मिली थी। साल 2016 में सीनियर एकाउंटेंट पिता पीके सिंह की आकस्मिक मौत के बाद हुई थी। शिप्रा ने बताया कि वे 25 जुलाई 2020 को मैटरनिटी लीव पर गई थीं। 21 अगस्त 2020 को उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। 19 जनवरी 2021 में छुट्टी खत्म होने के बाद वे 25 जनवरी को काम पर लौटीं तो अधिकारियों ने उन्हें कार्यालय में काम पर लगा दिया।
लेकिन, दो दिन पहले उन्हें फिर से बस में परिचालक की ड्यूटी करने के लिए निर्देशित कर दिया गया। उन्होंने सीनियर अधिकारियों से गुहार लगाई थी कि कोरोना और ठंड में बच्ची छोटी होने की वजह से वे बस में जाने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें कार्यालय में कहीं अटैच कर दिया जाए। लेकिन अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी। नौकरी छिन जाने के डर से वे पिछले दो दिनों से 5 माह की बच्ची को लेकर बस में नौकरी करने को मजबूर हुईं। यही वजह कि बच्ची की तबियत भी खराब हो गई थी।