सौराष्ट्र। गुजरात में विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है। ‘आप’ संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो लगातार पांच दिनों तक सौराष्ट्र में ताबड़तोड़ प्रचार किया है। 5 दिन में 11 रोड शो के जरिए उन्होंने ना सिर्फ पार्टी काडर में जोश भरने का प्रयास किया है, बल्कि भाजपा और कांग्रेस की चुनौती बढ़ाने के लिए पूरा दम लगा दिया है। मुफ्त बिजली, अच्छे स्कूल, अस्पताल, बेरोजगारी भत्ता जैसे लुभावने वादों के जरिए उन्होंने जनता से एक मौका देने की अपील की है।
केजरीवाल ने गुजरात में अपने सबसे लंबे अभियान का आगाज इसुदान गढ़वी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित करते हुए किया। इसुदान भी सौराष्ट्र से ही आते हैं। हालांकि, सौराष्ट्र से ही एक और बड़े नेता इंद्रनील राजगुरु ने गढ़वी को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ दिया और फिर से कांग्रेस में लौट गए। गुजरात की राजनीति को करीब से देखने वालों का मानना है कि जिस तरह पिछले चुनाव में कांग्रेस ने सौराष्ट्र में भाजपा के लिए चुनौती पेश की थी, उसमें ‘आप’ को अपने लिए भी उम्मीद नजर आ रही है।
कांग्रेस को कमजोर बताते हुए अरविंद केजरीवाल अपनी हर रैली में अपील करते हैं कि भाजपा को हराने के लिए ‘आप’ को ही वोट दें। 2017 के चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो सौराष्ट्र और कच्छ में 54 सीटों में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया था। कांग्रेस ने यहां 30 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को 23 सीटें ही मिली थीं। एक सीट एनसीपी के खाते में गई थी। माना गया था कि किसानों और पाटीदारों की नाराजगी का भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
केजरीवाल के साथ, मान भी बहा रहे पसीना
पिछले 5 दिन में केजरीवाल ने सौराष्ट्र में पार्टी के अभियान को काफी तेजी दी है। रोड शो, नुक्कड़ सभाओं के जरिए उन्होंने अधिकतर इलाकों तक पहुंचने की कोशिश की है। इस दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान ने मध्य गुजरात और अहमदाबाद पर फोकस किया है।