नई दिल्ली। बिहार में नीतीश सरकार सवालों के घेेरे में है। दरअसल अपर उप महानियंत्रक ने सवालों ने नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अपर उप महानियंत्रक का कहना है कि नीतीश सरकार 55 हजार करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब नहीं दे रही है। इतना ही नहीं खर्च किए गए रुपये का पक्का बिल भी उपलब्ध नहीं है। इस राशि का 63 प्रतिशत आपदा प्रबंधन, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से खर्च किया गया है।
खबर के मुताबिक अपर उप महानियंत्रक राकेश मोहन ने कहा है कि पंचायती राज विभाग और नगर एवं आवास तो ऑडिट में भी सहयोग ही नहीं कर रहे हैं। दोनों ही विभागों की तरफ से कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाया गया है। मोहन का कहना है कि सीएजी अपने संवैधानिक दायित्व के तहत विभागों का ऑडिट करता है। अगर कोई विभाग इसमें सहयोग नहीं करता है तो यह गंभीर मामला बनता है।
दरअसल आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से 14864 करोड़, पंचायती राज की तरफ से 13073 करोड़ और ग्रामीण विकास विभाग ने 6579 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया गया है। इसके साथ ही 5770 करोड़ कच्चे (एसी) बिल पर सरकारी विभागों ने खर्च कर दिया लेकिन उसका पक्का (डीसी) बिल नहीं दिया गया है।
शिक्षक भर्ती में फिर घपला!
इधर बिहार में चल रहे शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के तहत विभिन्न जिलों की 400 नियोजन इकाइयों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी गयी है। इन नियोजन इकाइयों में गड़बड़ी के मामले सामने आए थे। इसमें अधिकांश नियोजन इकाइयां ग्राम पंचायत स्तर की है।
शिक्षा विभाग की समीक्षा के बाद शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पूरे मामले की जांच करने और दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। अब इन इकाइयों में नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया चलेगी।
बाढ़ का कहर जारी
इधर प्रदेश के दर्जनों जिलों में बाढ़ का कहर जारी है, जिसकी वजह से हजारों लोग लोग परेशान हैं। कई जगहों पर लोग अपने घर को छोड़ कर पलायन कर गए हैं। राज्य में कोसी, बूढ़ी गंडक सहित सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहे हैं।