नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है। पहले मंगलवार को सूरत में ठहरे बागी विधायक मंगलवार की सुबह गुवाहाटी पहुंच चुके हैं। 25 बागी विधायकों से शुरू हुआ सिलसिला 40 विधायकों तक पहुंच चुका है। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में BJP का ऑपरेशन लोटस सफल नहीं हो पाएगा।
‘ऑपरेशन लोटस’ BJP की उस स्ट्रैटजी के लिए गढ़ा गया शब्द है, जिसमें सीटें पूरी न होने के बावजूद पार्टी सरकार बनाने की कोशिश करती है। पिछले 6 साल के दौरान 7 राज्यों में BJP ने ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाया। इसमें से 4 बार BJP को सफलता मिली है, जबकि 3 बार मात खानी पड़ी।
1. मध्य प्रदेश में BJP की तख्तापलट मुहिम पास
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
कांग्रेस के असंतुष्ट नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को BJP के पाले में करना और कमलनाथ की सरकार गिरा देना।
क्या-क्या हुआ:
2018 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस ने BSP और निर्दलियों की बैसाखी पर सरकार बनाई। एक तरफ सरकार के पास मजबूत संख्याबल नहीं था, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में अपनी अनदेखी से परेशान थे।
‘ऑपरेशन लोटस’ के लिए ये सबसे मुफीद स्थिति थी। BJP के बड़े नेताओं ने सिंधिया से संपर्क साधा और 9 मार्च 2022 को सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर दी। इन विधायकों को चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचा दिया गया।
तमाम कोशिशों के बाद भी सिंधिया नहीं माने और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। 20 मार्च 2022 को महज 15 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने।
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2. राजस्थान में अशोक गहलोत का सिंहासन हिलाने की कोशिश फेल
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
राजस्थान का CM नहीं बन पाने के कारण नाराज सचिन पायलट के जरिए कांग्रेस विधायकों को BJP के पाले में कर अशोक गहलोत की सरकार को गिराना।
क्या-क्या हुआ:
राजस्थान में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत आंकड़ा छुआ था। बसपा और निर्दलियों को कांग्रेस के पाले में कर CM अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी मजबूत करने की कोशिश की। वहीं विधानसभा में कांग्रेस का चेहरा रहे सचिन पायलट CM बनने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखीं।
ऐसे में BJP के ‘ऑपरेशन लोटस’ के लिए सचिन पायलट सबसे मुफीद चेहरा थे। राजस्थान BJP के नेताओं ने उनकी नाराजगी को भांप उनसे संपर्क किया। 11 जुलाई 2020 सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ गुरुग्राम के एक होटल में पहुंच गए।
गहलोत भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक्टिव हो गए। सबसे पहले उन्होंने अपने पाले वाले विधायकों को एक होटल में रखा। इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सचिन पायलट से 10 अगस्त 2020 को बातचीत कर उन्हें मना लिया। यहां पर गहलोत भारी पड़े। BJP की कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की स्ट्रैटजी विफल हो गई।
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3. कर्नाटक में कुमारस्वामी को सत्ता से बेदखल करने का प्लान पास
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
कांग्रेस और JDS के विधायकों को अपने पाले में करके विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कम करना और BJP की सरकार बनाना।
क्या-क्या हुआ:
2017 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में BJP 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। BJP नेता बीएस येदियुरप्पा ने CM पद की शपथ भी ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए। सरकार गिर गई।
इसके बाद कांग्रेस के 80 और JDS के 37 विधायकों ने मिलकर सरकार बना ली। 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पॉलिटिकल क्राइसिस शुरू हो गई। जुलाई 2019 में कांग्रेस के 12 और JDS के 3 विधायक बागी हो गए।
कांग्रेस-JDS सरकार के पास 101 सीटें बचीं। वहीं BJP की 105 सीटें बरकरार रहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां से फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया। सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई और CM कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया।
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4. महाराष्ट्र में अजीत पवार को तोड़ने का पैंतरा फेल
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
शिवसेना के कांग्रेस और NCP के साथ जाने के प्लान को अजित पवार के साथ मिलकर बर्बाद करना। BJP इसके एवज में अजित पवार पर लगे सारे आरोप वापस लेती।
क्या-क्या हुआ:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को घोषित हुए थे। BJP-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था। BJP को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। वहीं NCP को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली। CM पद को लेकर BJP और शिवसेना अलग हो गईं।
इसके बाद शिवसेना ने NCP और कांग्रेस से हाथ मिलकर सरकार बनाने की घोषणा की, लेकिन इसके एक दिन बाद 23 नवंबर 2019 को ही CM के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली। उनके साथ अजित पवार ने भी डिप्टी CM पद की शपथ ली।
NCP प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के विधायकों को अजित के साथ जाने से रोक लिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। जब फडणवीस को लगा कि वह बहुमत नहीं हासिल कर पाएंगे तो उन्होंने 72 घंटे में ही CM पद से इस्तीफा दे दिया। यहां BJP की स्ट्रैटजी NCP तोड़कर सरकार बनाने की थी। लेकिन यह फेल हो गई।
5. गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी, फिर भी बनी BJP सरकार
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
कम सीटें होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा पहले पेश करना।
क्या-क्या हुआ:
फरवरी 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ा पार्टी बनकर उभरी। सत्ता की चाबी छोटे दलों और निर्दलियों के हाथ में थी।
मनोहर पर्रिकर ने 21 विधायकों के समर्थन की बात कहते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें सरकार गठन का न्यौता दे दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि गोवा में कांग्रेस के बहुमत का BJP ने हरण कर लिया। कांग्रेस का तर्क था कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार गठन के लिए उन्हें पहले बुलाया जाना चाहिए था।
6. अरुणाचल प्रदेश में पूरी कांग्रेस पार्टी ही बागी हो गई
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
कांग्रेस के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को तोड़कर नई सरकार बनाना।
क्या क्या हुआः
2014 चुनाव के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। हालांकि कांग्रेस के नेताओं के बीच की रंजिश खुलकर सामने आती रही।
आखिरकार 16 सितंबर 2016 को कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायक पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए। PPA ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई।
7. उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट के चलते BJP की स्ट्रैटजी फेल हुई
‘ऑपरेशन लोटस’ की स्ट्रैटजी :
CM पद से हटाए गए कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा की नाराजगी को भुनाकर कांग्रेस को तोड़ना और विधानसभा में बहुमत हासिल करना था।
क्या-क्या हुआ:
उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा रही। कांग्रेस 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि BJP को 31 सीटें मिलीं। ऐसे में BJP इस हार को पचा नहीं पा रही थी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को हटाकर 2014 में हरीश रावत को CM बनाया, BJP को यहां उम्मीदें दिखने लगीं।
BJP बहुगुणा की नाराजगी का फायदा उठाया। 18 मार्च 2016 को बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 विधायक बागी हो गए। हालांकि, उत्तराखंड के स्पीकर ने जब कांग्रेस के 9 बागियों को अयोग्य घोषित कर दिया तो केंद्र सरकार ने उसी दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बागी विधायकों को दूर रखते हुए शक्ति परीक्षण कराया गया। 11 मई 2016 को बहुमत परीक्षण में रावत की जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट के चलते यहां भी विधायकों को तोड़ने का BJP का पैंतरा काम नहीं आया।
अब सबसे बड़ा सवालः महाराष्ट्र में इस बार क्या होगा?
पिछले सात राज्यों की स्टडी से पता चलता है कि ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत BJP दो तरह की रणनीति अपनाती है। पहला- विपक्षी पार्टी के नाराज गुट को अपने पाले में करके सरकार बनाना। दूसरा- छोटे दलों और निर्दलियों को अपने पाले में करके सरकार बनाना। महाराष्ट्र में पहली स्ट्रैटजी नजर आ रही है। 40 से ज्यादा विधायकों की बगावत का सीधा मतलब है महाराष्ट्र की उद्धव सरकार गहरे संकट में है।