नई दिल्ली। वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन के तौर पर शुरू की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के छह साल शुक्रवार को पूरे हो गए हैं। इस योजना के तहत अब तक 40.35 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, जिनके खातों में कुल 1.31 लाख करोड़ रुपये की रकम जमा है। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त,2014 को लाल किले की प्राचीर से पीएमजेडीवाई का ऐलान किया था, जिसकी शुरुआत पीएम ने 28 अगस्त,2014 को गरीबों और वंचितों के वित्तीय समावेशन के लिए किया था।
वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवाओं के विभाग (डीएफएस) के मुताबिक कुल जनधन खातों में 63.6 फीसदी ग्रामीण पीएमजेडीवाई खाते हैं, जबकि 55.2 फीसदी महिला पीएमजेडीवाई खाते हैं। वित्त मंत्रालय के मुताबिक पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत अप्रैल से जून 2020 के दौरान महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों के खातों में कुल 30,705 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं। वहीं, लगभग 8 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारक सरकार से विभिन्न योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना का लाभ हासिल करते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएमजेडीवाई की छठी वर्षगांठ पर इस योजना के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना मोदी सरकार के जन केंद्रित आर्थिक कार्यक्रमों की बुनियाद रही है। चाहे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो अथवा कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत मजदूरी में वृद्धि, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर, प्रत्येक वयस्क को बैंक खाता प्रदान करने के लिए उठाया गया पहला कदम था, जिसे पीएमजेडीवाई ने करीब पूरा कर लिया है।
वहीं, वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इस अवसर पर कहा कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पीएमजेडीवाई बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग प्रणाली के तहत लाई है। इसने भारत के वित्तीय ढ़ांचे का विस्तार किया है, जो 40 करोड़ से अधिक खाताधारकों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाई है। ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 के दौर में हमने डीबीटी में उल्लेखनीय तेजी और सहजता देखी है। साथ ही इसने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में मदद की है।