90 प्रतिशत दस्तावेज़ों को नहीं मिली WHO की मंजूरी, फिर भी धड़ल्ले से लग रही कोवैक्सीन

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से बचने के लिए अभी तक वैक्सीन सबसे कारगर उपाय मानी जा रही है। भारत ने अब तक दो वैक्सीन लगायी जा रही है, भारत बायोटेक का कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट का कोविशील्ड जो एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया है। वही तीसरी वैक्सीन के रूप में रूस की स्पुतनिक वी – को भी आपातकालीन मंजूरी दी गयी है, लेकिन अभी तक इसे शुरू नहीं किया गया है।

कोवैक्सीन को लेकर शुरुआत से ही कई प्रकार के सवाल उठाये जा रहे है।दरअसल इस वैक्सीन को तभी अनुमति दे दी गयी थी जब इसका तीसरे चरण का ट्रायल नहीं पूरा हुआ था। जिसको लेकर ICMR के निदेशक बलराम भार्गव ने कहा था कि गैर आपातकालीन स्थिति में मंजूरी के लिए सुरक्षा प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता रिपोर्ट की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी बताया था कि आपातकालीन इस्तेमाल मंजूरी के लिए प्रभावकारिता डाटा की आवश्यकता नहीं है होती है ऐसी स्थिति में प्रभावकारी डाटा के लिए इम्यूनिटी डाटा एक सरोगेट के रूप में कार्य करता है।

WHO से मंजूरी प्राप्त करने को लेकर आश्वस्त है भारत बायोटेक: 
वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने सोमवार को भारत सरकार के अधिकारियों को बताया कि कोवैक्सिन की आपातकालीन उपयोग के लिए आवश्यक नब्बे प्रतिशत दस्तावेज डब्ल्यूएचओ को जमा कर दिए गए हैं। साथ ही यह भी बताया कि बचे हुए दस्तावेज जून में जमा होने की उम्मीद है।

कंपनी ने कहा कि वह डब्ल्यूएचओ से मंजूरी प्राप्त करने को लेकर आश्वस्त है। साथ ही बताया कि अभी तक किसी भी देश ने ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ लागू नहीं किया है। वर्तमान में दुनिया के अधिकतर देशों में यात्रा के दौरान आरटी-पीसीआर जांच में कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट के प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।

आपको बता दें डब्ल्यूएचओ के अनुसार आपातकालीन उपयोग प्रक्रिया के तहत प्रीक्वालिफिकेशन या लिस्टिंग के लिए इसे सबके सामने प्रस्तुत करना गोपनीय है। अगर जांच के लिए सबमिट किया गया कोई उत्पाद लिस्टिंग के मानदंडों को पूरा करता पाया जाता है तो WHO उसके परिणाम को व्यपक रूप से प्रकाशित करेगा। आपातकालीन उपयोग के लिए सूचीकरण प्रक्रिया की अवधि वैक्सीन बनाने वाले द्वारा बताये गए डेटा की गुणवत्ता और डब्ल्यूएचओ के मानदंडों को पूरा करने वाले डेटा पर निर्भर करती है।

11 देशों से नियामकीय मंजूरी मिल चुकी: 
भारत बायोटेक ने बताया कि कोवैक्सीन को पहले ही 11 देशों से नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है। ब्राजील और हंगरी में कोवैक्सीन की रेगुलारिटी अप्रूवल के लिए दस्तावेज जमा कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जबकि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन से अंतिम दौर की बातचीत भी चल रही है।

सूत्रों के अनुसार सात देशों की 11 कंपनियों ने कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में रुचि दिखाई है। आपको बता दें कि इस बीच विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और बायोटेक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत के एमडी डॉ वी कृष्ण मोहन और के साथ डब्ल्यूएचओ के कोवैक्सिन की मंजूरी के लिए आवेदन की स्थिति पर बैठक की थी।

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