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बांग्लादेश को पाले में लाने की चीनी कोशिशों से खुश नहीं हैं बांग्लादेशी, छिड़ा विरोध-प्रदर्शन

नई दिल्ली| चीन ने बांग्लादेश से आयातित 97 प्रतिशत वस्तुओं को पूरी तरह से शुल्क मुक्त करने का फैसला किया है, मगर इसके बावजूद बांग्लादेश के नागरिक खुश नहीं हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में व्यापक विरोध प्रदर्शन छिड़ गया है। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बांग्लादेश के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उसे लुभाने की तमाम कोशिशें शुरू कर दी हैं।

चीन के इस कदम का विरोध करने के लिए राजधानी में सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए। इस दौरान लोगों ने न केवल चीन के खिलाफ नारेबाजी की बल्कि भारत के साथ एकजुटता भी दिखाई।

एक विश्लेषक ने कहा, “बांग्लादेश के लोगों का चीन के लिए कोई आदर नहीं है, खासतौर पर जिस तरह वहां उइगर मुसलमानों से बर्ताव होता है और पाकिस्तान के साथ उसकी निकटता भी कारण है।” विश्लेषक ने कहा, “वे अपने सामाजिक ताने-बाने और लोकतंत्र के कारण भारत के करीब महसूस करते हैं। ऐसे कई प्लेकार्ड हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध बरकरार रहना चाहिए।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने पहले ही बताया है कि चीन में कैसे उइगर मुसलमानों के लाखों लोगों को भेदभाव और निगरानी का सामना करना पड़ता है। उइगर मुसलमानों को डीएनए और बायोमीट्रिक नमूने देने के लिए भी कहा गया है। चीन में लगभग 10 लाख उइगर मुसलमानों को कथित तौर पर नजरबंदी शिविरों में रखा गया है।

हालांकि चीन इस बात को नकारता रहा है कि उसके यहां इस तरह के कोई भी शिविर हैं। बाद में उसने कहा कि वे केवल स्कूल थे, जो व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करते थे। हालांकि यह स्पष्ट है कि उइगर मुसलमानों को इन शिविरों में हिरासत में रखा गया है।

इस संबंध में हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी चीन पर सवाल उठाए हैं। यही नहीं अमेरिका ने इस संबंध में एक कानून भी पास किया है।

एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, नए कानून के तहत अमेरिकी प्रशासन को उन चीनी अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रावधान दिया गया है, जो चीन में उइगरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं। दरअसल चीनी अधिकारी पश्चिमी चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख मुस्लिम उइगरों को कैद में रखने के जिम्मेदार हैं, जिसके खिलाफ अमेरिका ने कड़ा कदम उठाया है।

इस समय चीन के बाजार में बांग्लादेश के 3,095 उत्पाद ही शुल्क मुक्त हैं। यह शुल्क छूट एशिया प्रशांत व्यापार समझौते (आप्टा) के तहत मिली हुई है। अब नए फैसले के बाद एक जुलाई से 5,161 और उत्पादों को ड्यूटी फ्री कर किया जाएगा, जिन पर कोई टैरिफ (शुल्क) नहीं लगेगा।

यह सुविधा बांग्लादेश को एक लीस्ट डेवलप्ड कंट्री (एलडीसी) के रूप में दी गई है। कई अन्य देशों की तरह, वित्तीय सहायता के लिए चीन पर बांग्लादेश की निर्भरता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। देश में चीन का निवेश 2016 से कई गुना बढ़ गया है।

बता दें कि चीन द्वारा बांग्लादेश के उत्पादों को शुल्क मुक्त करने में भी उसकी चालबाजी है। दरअसल इन दिनों चीन ने भारत को घेरने की अपनी कोशिशों को बढ़ाना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि उसने नेपाल के बाद अब बांग्लादेश पर आर्थिक रूप से मेहरबानी दिखानी शुरू कर दी है, ताकि उसे भी अपनी ओर मिला सके और भारत की घेराबंदी करने में कामयाबी हासिल हो सके। मगर कुछ भी हो, बांग्लादेश की आम जनता भारत द्वारा की गई मदद को नहीं भूली है और अभी भी वह भारत को ही सबसे करीब पाती है।

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