लखनऊ। रोडवेज बसों में डीजल खर्च की समीक्षा नहीं करना अफसरों पर भारी पड़ गया। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष डीजल खर्च ज्यादा रहा। प्रति किलोमीटर बस संचालन पर डीजल औसत बढ़ता गया। क्षेत्रों में तैनात एआरएम पद के अफसरों ने इसकी निगरानी समय-समय पर नहीं की। लिहाजा परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन) ने 28 अफसरों को चार्जशीट दे दिया।
परिवहन निगम प्रशासन एसके दूबे के इस आदेश पर क्षेत्रों में तैनात अफसरों में हड़कंप मच गया। अब इस पूरे मामले में एमडी डॉ राजशेखर के आदेश पर प्रधान प्रबंधक प्राविधिक को जांच अधिकारी बनाया गया है। सभी अफसरों के खिलाफ जांच करके आरोप पत्र और साक्ष्य सहित मुख्यालय को भेजना होगा। जहां जांच में दोषी पाए जाने पर अधिकारियों के वेतन से कटौती की जाएगी।
इन एआरएम के खिलाफ जांच होगी
प्रदेश भर में रोडवेज के 115 सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक तैनात है। जिसमें 28 अफसरों को आरोप पत्र दिया गया है। इनमें एआरएम सुदामा प्रसाद, कैलाश राम, विमल राजन, राजेश कुमार तृतीय, ममता कुमारी, प्रेम सिंह, मदन लाल, संजीव कुमार यादव, सीबी राम, आरके वर्मा, आरपी सिंह, शिव कुमार गौर, राजीव कुमार यादव, प्रमोद कुमार सिंह, संदीप नायक, प्रियम श्रीवास्तव, राम किशोर त्रिपाठी, विनोद कुमार शुक्ला, रवींद्र कुमार सिंह, दयाशंकर सिंह, मनोज कुमार शर्मा, विवेकानंद तिवारी, बीपी अग्रवाल, आरके जैन, कपिल वाष्णेय, मो. अजीम, आरएस पांडेय के विरूद्ध अनुशासनिक प्रकरणों की जांच शुरू करने की तैयारी है।
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