भाजपा सांसद बोले- आम लोगों की तो छोड़िये, हमारी ही बात नहीं सुन रही है पुलिस

गोरखपुर। पैनेशिया अस्पताल के मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के तीसरे दिन भी दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। वहीं भाजपा सांसद कमलेश पासवान ने पुलिस को निशाने पर लिया और अपने साथ दुव्र्यवहार और जातिसूचक गाली देने के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। कहा कि सबूत  होने के बाद भी पुलिस मेरा मुकदमा नहीं दर्ज कर रही है।

उधर, अस्पताल के निदेशक मंडल के संस्थापक सदस्य विजय कुमार पांडेय ने जिला प्रशासन पर सांसद के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। सांसद का कहना है कि निदेशक मंडल की सदस्यता और अस्पताल संचालन के अधिकार को लेकर मामला अदालत में लंबित है। इसे बेवजह फौजदारी का मामला बनाने की कोशिश की जा रही है। वहीं विजय पांडेय ने सांसद पर अस्पताल संचालित करने वाली फर्म को दिवालिया घोषित कराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

भाजपा सांसद कमलेश पासवान ने कहा है कि नियम-कानून का पालन करते हुए मुझे अस्पताल के निदेशक मंडल में शामिल किया गया है। यदि किसी को आपत्ति है, तो उसे न्यायालय जाना चाहिए। कानूनी रास्ता अपनाने की बजाय कुछ लोगों ने सरेआम मुझे अपमानित किया। धमकी देने के साथ ही जातिसूचक गाली भी दी। इसका वीडियो भी उपलब्ध है।

मैंने कैंट थाने में तहरीर दी है। इसके बाद भी पुलिस मेरा मुकदमा नहीं दर्ज कर रही है। पत्रकारों से बातचीत में सांसद ने कहा कि आरोप लगाया जा रहा है कि मैंने पैनेशिया अस्पताल पर कब्जा कर लिया है। विजय पांडेय, राज श्रीवास्तव तथा उनके साथियों के साथ मारपीट की है। यह पूरी तरह मनगढ़ंत है।

मेरी राजनीतिक छवि खराब करने की साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोमवार को मैं अस्पताल में था। इसी बीच 40-50 लोग आए और कर्मचारियों से विवाद करने लगे। शोर सुन मैं बाहर निकला तो गाली-गलौच और जातिसूचक शब्द कहकर मुझे अपमानित किया गया। सांसद होने के बाद भी पुलिस यदि मेरा मुकदमा नहीं दर्ज कर रही, तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा? यदि पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो मैं दूसरे विकल्पों पर विचार करूंगा।

पैनेशिया अस्पताल के निदेशक मंडल के संस्थापक सदस्य विजय कुमार पांडेय ने भी बुधवार को अपना पक्ष रखा। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने जिला प्रशासन पर भाजपा सांसद कमलेश पासवान के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। कहा कि सांसद, मुझे और निदेशक मंडल के अन्य सदस्यों को फर्जी मुकदमे में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं। सांसद पर उन्होंने अस्पताल को संचालित करने वाली फर्म को दिवालिया घोषित करने के लिए षड्यंत्र रचने का भी आरोप लगाया।

विजय कुमार पांडेय ने बताया कि डा. प्रमोद सिंह से कंपनी मैनेजमेंट का विवाद है। उसी संबंध में सोमवार को वह, निदेशक मंडल के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत करने अस्पताल गए थे। इस दौरान सांसद और उनके साथ के लोगों ने विवाद शुरू कर दिया और साजिश के तहत अपने ही लोगों से खुद को जातिसूचक गाली दिलवाकर सांसद ने निदेशक मंडल के सदस्यों को एससीएसटी एक्ट के मुकदमे में फंसाने की कोशिश की है।

सांसद कमलेश पासवान, अस्पताल को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। कब्जा जमाने की हड़बड़ी में वह न्यायालय और कंपनी एक्ट की भी अनदेखी कर रहे हैं। धनबल, बाहुबल और राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर उन्होंने जिला प्रशासन को प्रभाव में ले रखा है। उन्हीं के इशारे पर सोमवार को आधी रात में आनन-फानन अस्पताल सील कर दिया गया।

तब जबकि मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को पहले ही इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई करने का आदेश दिया था। विजय कुमार पांडेय ने कहा कि वह लोग जल्दी ही दोबारा मुख्यमंत्री से मिलकर न्याय की गुहार लगाएंगे।

पैनेशिया अस्पताल को लेकर हुए विवाद के मामले में तीन तहरीर मिली हैं। इसमें सांसद कमलेश पासवान की भी तहरीर है। कुछ लोगों पर उन्होंने जातिसूचक गाली देने और अपमानित करने का आरोप लगाया है। इसकी जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। – डा. सुनील गुप्त, एसएसपी

मरीज डिस्चार्ज, छह का चल रहा इलाज

मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद सील होप पैनेशिया अस्पताल से बुधवार को ठीक होने पर इमरजेंसी में भर्ती दो मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। फिलहाल इमरजेंसी में एक व आइसीयू में पांच गंभीर मरीज भर्ती हैं। उनकी देखभाल की जा रही है।

अस्पताल सील होने के बाद से नए मरीज न देखे जा रहे हैं और न ही भर्ती किए जा रहे हैं। दो पक्षों में विवाद के चलते बीते सोमवार की रात 12 बजे जिलाधिकारी ने अस्पताल सील करा दिया था। अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखरेख व इलाज की सुविधा देते हुए उन्हें यथाशीघ्र अन्य अस्पतालों में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था।

उस दिन कुल 22 मरीज भर्ती थे, जिनमें से 14 को मंगलवार को डिस्चार्ज किया गया था। आइसीयू प्रभारी डा.विजय पांडेय ने बताया कि डॉक्टर व स्टॉफ मरीजों की देखरेख व इलाज कर रहे हैं।

अचानक बेरोजगार हो गए 100 से अधिक लोग

अस्पताल सील होने से सौ से अधिक लोग अचानक बेरोजगार हो गए। मरीजों की देखरेख के लिए लगभग 50 फीसद स्टॉफ ही आ रहा है। यह व्यवस्था भी तब तक है, जब तक मरीज हैं। इसके बाद उनके सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो जाएगा।

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