वॉशिंगटन। 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में चीन के करीब 43 सैनिक मारे गए थे। भारत ने अपने 20 शहीद सैनिकों की जानकारी दी। लेकिन, चीन ने मारे गए सैनिकों पर एक शब्द नहीं कहा। वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि चीन को इस बात का डर सता रहा है कि अगर उसने मारे गए सैनिकों की संख्या कबूली तो देश में विद्रोह हो जाएगा। कई पूर्व सैनिक और अफसर शी जिनपिंग सरकार के रवैये से दुखी हैं।
चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के पूर्व नेता के बेटे जियानिल यांग ने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे आर्टिकल में यह दावा किया है। जियानिल सिटीजन पॉवर इनिशिएटिव फॉर चाइना के फाउंडर चेयरमैन हैं। उन्होंने लिखा- सरकार को डर है कि अगर चीन के लोगों को पता चला कि भारत की तुलना में उसके सैनिक ज्यादा मारे गए हैं तो विद्रोह हो जाएगा।
रिटायर्ड आर्मी पर्सनल जिनपिंग से नाखुश- वॉशिंगटन पोस्ट
चीन का बहाना- टकराव नहीं बढ़ाना चाहते इसलिए संख्या नहीं बताई
चीन ने मारे गए अपने सैनिकों को लेकर कुछ भी नहीं नहीं कहा। हालांकि, चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि दोनों देशों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए चीन अपने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताएगा। ऐसा करने पर दोनों देशों के बीच तुलना शुरू हो जाएगी और सरकार पर दबाव बनेगा। ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि चीन के मारे गए सैनिकों की संख्या 20 से कम है।
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