Categories: देश

लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी दे सकता है कृषि सेक्टर, बेरोजगार अपनाएं खेती

नई दिल्ली। एक तरफ देश में मॉनसून आने से लोगों के चेहरे खिले हुए है तो दूसरी तरफ कोरोना के आंकड़े काफी डरावने हो रहे है। देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है ऐसे में मॉनसून से आने वाले दिनों में कुछ रहत भरी खबर जरूर मिल सकती है। मौसम विभाग की मानें तो इस बार जून में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। 2013 के बाद इस साल जून में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। हिमालयी राज्यों के कुछ इलाकों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के अन्य इलाकों में किसानों के मनमाफिक बारिश हुई है।

मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। यह बारिश अपने साथ खासकर ग्रामीण इलाकों में कई उम्मीदें लेकर आई है। कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पस्त हो चुकी है और शहरी इलाकों में विकास का पहिया एक तरह से रुक गया है। ऐसी गहरी निराशा के माहौल में ग्रामीण इलाकों से एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है, जो इकोनॉमी को एक डोज देगी।

अर्थशास्त्रियों और कॉर्पोरेट दिग्गजों का मानना है कि पस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था को अब ग्रामीण इलाकों से ही नई ऊर्जा मिलेगी। मई में घरेलू बाजार में ट्रैक्टर की बिक्री 4% बढ़ी जो इस बात का संकेत है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था अर्बन इकोनॉमी से कहीं बेहतर स्थिति में है।

नीति निर्माता और उद्योग जगत केवल अच्छे मॉनसून की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर उम्मीद नहीं जता रहा है। वे इसके लिए इनको प्रमुख कारण मानते हैं। पहला कारण ये है कि 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाऊन के बावजूद खेती जारी रही जबकि मैन्यूफैक्चरिंग पर इसका व्यापक असर पड़ा। दूसरा ये है कि सरकारी एजेंसियो के मुताबिक इस बार ज्यादा बुआई हुई है। तीसरा कारण यह कि शहरों से अपने गांवों की ओर लौटे मजदूर अब कृषि गतिविधियों में शामिल हैं।

उद्योगपति हर्ष गोयनका को उम्मीद है कि गांवों में मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस साल बुआई ने नया रिकॉर्ड बनाया है। अगर मॉनसून सामान्य रहा तो फिर खरीफ की बंपर फसल होगी। इससे ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ेगी। उनकी कम्पनी ट्रैक्टर और ट्रेलर टायर बेचती है जिसे रूरल इकोनॉमी का बैरोमीटर कहा जाता है।

सिगरेट से लेकर बिस्कुट तक का कारोबार करने वाली आईटीसी ने लॉकडाऊन शुरू होने के बाद हाइजीन और वैलनैस सेगमैंट में 5 नए उत्पाद उतारे हैं। इनमें ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 50 पैसे का हैंड सैनिटाइजर सैशे भी है। कम्पनी के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर बी.सुमंत कहते हैं, अब ग्रामीण इलाकों में भी ऐसे उत्पादों की जबरदस्त मांग है। हम ग्रामीण को शहरी उपभोक्ताओं से अलग नहीं मानते हैं। अब यह अंतर बहुत मामूली रह गया है।

फूलों की खेती करने वाले किसान केशव का मानना है कि मंदिर- मस्जिद खुलने के बाद भी वहां फूल ले जाना मना है। शादियों में भी बड़े फंक्शन नहीं हो रहे हैं। फूलों की मांग कहां से आएगी? जब मांग नहीं होगी तो अर्थव्यवस्था कैसे बेहतर होगी।

हालांकि किसान छोटेलाल चौरसिया का कहना है कि मॉनसून के बाद मांग तेज पकड़ेगी क्योंकि इस बार खेतों को पानी अच्छा मिल रहा है और खेती के लिए लॉकडाउन के चलते बढ़ावा भी मिला है। कुल मिलाकर इस बार खेत- खलियान की वजह से ही अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा और मार्किट में मनी फ्लो को बढ़ावा मिलेगा।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago