नई दिल्ली। पायलट ही नही कांग्रेस के जहाज में अदिति, सिंधिया, प्रियंका चतुर्वेदी और अल्पेश ठाकोर जैसा हर युवा यात्री होते जा रहे बाग़ी बूढ़ी कांग्रेस में बूढ़ों की ही क्यों चलती है। पुराने तजुर्बों और नये जोश का संतुलन बेहद ज़रूरी है। कांग्रेस में बार-बार बग़ावत की भगदड़ के पीछे युवा और बुजुर्गों के बीच सामंजस्य ना होना ही है। सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस बूढ़ी और कमज़ोर शायद इसलिए ही हो रही है क्योंकि यहां युवा नेताओं को पुराने नेताओं के बीच घुटन महसूस होती रही है। राजस्थान में सचिन पायलट की विदाई ताजा मामला है।
इससे पहले मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात में अल्पेश ठाकोर, महाराष्ट्र में प्रियंका चतुर्वेदी और उत्तर प्रदेश में रायबरेली से विधायक आदिति सिंह जैसे कांग्रेस बागियों की फेहरिस्त लम्बी होती चली जा रही है।
देश की राजनीति में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे सूबों का ख़ास स्थान है। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही राष्ट्रीय दल इन राज्यों में अपना जनाधार भी बढ़ाना चाहते हैं और हुकुमत पर काबिज होने के लिए बेताब भी रहते हैं। कांग्रेस और भाजपा की प्रतिस्पर्धा की रेस में भाजपा के पीछे कांग्रेस के हांफने की तमाम वजहें हैं।
भाजपा गैरों को अपनाने में लगी रहती है और कांग्रेस अपनों को भी नहीं संभाल रही। खासकर युवा शक्ति जिससे किसी भी राजनीतिक दल की राजनीति परवान चढ़ता है, ऐसी ताकत को खोती कांग्रेस युवा विहीन होती जा रही है। सबसे पुरानी इस बूढ़ी हो चुकी पार्टी में अब युवाओं की नहीं बूढ़ों की ही चलती है। युवा जोश दिखता तो है, पर बगावत की सूरत में।
ताजा मिसाल राजस्थान के सचिन पायलट की है, इनकी पटरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नहीं खायी। मध्यप्रदेश मे कांग्रेस के टूटने की भी लगभग कुछ ऐसी ही वजह थी। युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया और वरिष्ठ कमलनाथ के बीच सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा था।
गुजरात में पिछड़े वर्गों के उभरते नेता अल्पेश ठाकुर कांग्रेस में ज्यादा दिन तक टिक नहीं सके। उत्तर प्रदेश में रायबरेली से विधायक आदिति सिंह भी कांग्रेस की बागी साबित हो चुकी हैं।
इत्तेफाक कि कांग्रेस के आसमान से टूटे ज्यादातर राजनीति के युवा सितारी भाजपा के दामन में गिरते हैं। राजस्थान सरकार को अल्पमत में लाने की फिलहाल नाकाम कोशिश में क्रैश पायलट का जहाज भाजपा के आंगन में गिरेगा या नहीं ये बात पिछले अड़तालीस घंटे में सामने आ जायेगी।
इधर यूपी में कांग्रेस की बागी विधायक आदिति के खिलाफ कांग्रेस अनुशासनात्मक कार्यवाही कर चुकी है। पार्टी ने आदिति सिंह और राकेश सिंह की सदस्यता समाप्त करने की याचिका दाखिल की थी। लेकिन आज ही यूपी के विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित ने विधायक आदिति सिंह और राकेश सिंह की सदस्यता समाप्त करने संबंधी याचिका को बलहीन मान कर खारिज कर दी।
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