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राजस्थान सियासी ड्रामा : गहलोत अड़े, अब देश भर के राजभवनों का घेराव करेगी कांग्रेस

जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच विधानसभा सत्र बुलाकर सदन में बहुमत साबित करने की जिद पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अड़े हुए हैं। आज जयपुर के फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक हुई। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन जाएंगे। यदि और भी ज्यादा आवश्यक हुआ तो हम प्रधानमंत्री निवास के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

वहीं, अब यह सियासी संग्राम और तेज हो गया है। राजस्थान में जारी उठापटक के बीच राजभवन और कांग्रेस का टकराव बढ़ता ही जा रहा है। 27 जुलाई से कांग्रेस सभी राज्यों के राजभवनों का घेराव करने वाली है। जयपुर में एक बार फिर कांग्रेस द्वारा राजभवन का घेराव किया जाएगा।

कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर राजभवन के घेराव की घोषणा की है। उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ देशभर में कांग्रेस राजभवन का घेराव करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस कल एक राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन अभियान ‘लोकतंत्र के लिए बोलो’ (Speak Up for Democracy) शुरू करने जा रही है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने शनिवार को भाजपा की आलोचना की। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार भाजपा के खिलाफ जयपुर में एक विरोध रैली के दौरान पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए वैभव ने कहा, ‘केंद्र में भाजपा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राजस्थान सरकार को गिराने की साजिश में शामिल है। पिछले डेढ़ साल से हमने किसानों के लिए काम किया है। हमने कोरोना वायरस से प्रभावी ढंग से निपटा है। मुझे लगता है कि भाजाप इससे निपट नहीं सकती है और इसलिए वो कांग्रेस के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को गिराने की साजिश रच रही है।’

कानून व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर भाजपा ने सीएम गहलोत से मांगा इस्तीफा

राज्यपाल से मिलने गए भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने सीएम अशोक गहलोत का इस्तीफा मांगा है। राजभवन से वापस आने के बाद मीडिया से बात करते हुए भाजपा नेता जीसी कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के प्रमुख हैं और उन्होंने कहा था कि वह कानून और व्यवस्था की स्थिति के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। अगर वह नहीं, तो कौन जिम्मेदार होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री को इस तरह की भाषा का उपयोग किए जाने को लेकर अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

राज्यवर्धन राठौर ने गहलोत सरकार को घेरा

शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों द्वारा किए गए राजभवन घेराव पर भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि राजभवन में कांग्रेस सरकान ने जो किया वह राजस्थान की राजनीति का सबसे निम्न बिंदु था। राज्य में अब शासन नहीं है। जिनके हाथों में सत्ता है वो पांच सितारा होटल में ठहरे हुए हैं और प्रदेश के लोग विभिन्न मुद्दों से पीड़ित हैं।

भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

राज्यपाल से मुलाकात के दौरान भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की धमकी राजभवन के घेराव और सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थता व्यक्त करने पर आइपीसी धारा 124 के तहत उल्लंघन किया गया है।

भाजपा प्रतिनिधमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात

राजस्थान के पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया और विपक्ष के नेता गुलाब चंद्र कटारिया के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की।

शेखावत ने गहलोत पर निशाना साधा

इससे पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जहां राज्यपाल को स्वयं मुख्यमंत्री धमका कर असुरक्षित महसूस करवाए, वहां चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्या और हिंसक झड़पों से त्रस्त राजस्थान वासियों को मुख्यमंत्री के आगे अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाना बेकार है! वहीं कांग्रेस ने आज पूरे राज्य में हर जिला मुख्यालय पर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन किया।

अयोग्यता नोटिस पर स्थगन का आदेश

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच मतभेद सामने आने के बाद से राजस्थान में राजनीतिक संकट जारी है। पिछले हफ्ते कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को अयोग्यता नोटिस भेजा था। पायलट और उनके समर्थन विधायक नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गए।

मामले में शुक्रवार को पायलट समेत 19 विधायकों को इस नोटिस पर हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की पायलट खेमे की अर्जी भी स्वीकार कर ली। वहीं, विधानसभा सत्र बुलाकर संकट टालने की कांग्रेस की कोशिश भी सिरे नहीं चढ़ी। इससे तमतमाई कांग्रेस अपने व समर्थन दे रहे विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गई और घंटों धरने पर बैठी रही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो धमकी तक दे दी कि अगर जनता राजभवन को घेर लेती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगे।

पूरे घटनाक्रम पर राज्यपाल ने जताई नाराजगी

पूरे घटनाक्रम पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री से कानून व्यवस्था पर स्पष्टीकरण मांगा है। देर रात जारी पत्र में उन्होंने पूछा कि आप और आपके गृहमंत्री अगर राज्यपाल को सुरक्षा नहीं दे सकते तो राज्य में कानून व्यवस्था के बारे में क्या कहा जाए? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाए? संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। किसी प्रकार के दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। आज तक हमने किसी मुख्यमंत्री का इस तरह का बयान नहीं सुना। यदि सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र बुलाने क्या औचित्य है।

राहुल बोले, विधानसभा का सत्र बुलाएं राजस्थान के राज्यपाल

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार गिराने के पीछे भाजपा की स्पष्ट साजिश का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए। इससे देश की जनता के सामने सच्चाई आ सकेगी। कांग्रेस राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र पर विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने के लिए अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन नहीं करने और केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगा रही है। राहुल ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि देश का शासन संविधान और कानून से चलता है। सरकारें जनादेश से बनती और चलती हैं। राजस्थान की सरकार गिराने में भाजपा की साजिश स्पष्ट है।

पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने फोन टैपिंग कर 10 जुलाई को दावा किया था कि गहलोत सरकार गिराने की साजिश रची गई है। अगले दिन पायलट और उन्हें समर्थन देने वाले विधायक दिल्ली चले गए। गहलोत की बुलाई विधायक दल की बैठक में भी जब पायलट खेमे के विधायक नहीं पहुंचे, तो कांग्रेस ने स्पीकर से शिकायत की।

14 जुलाई को स्पीकर ने इनको नोटिस जारी कर पूछा था- क्यों न आपको अयोग्य घोषित कर दिया जाए? 16 जुलाई को पायलट खेमा हाई कोर्ट पहुंच गया। 17 जुलाई को सिंगल बेंच ने सुनवाई की और मामला दो जजों की बेंच में भेजा। इस बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की। 20 और 21 जुलाई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया और स्पीकर को निर्देशित किया कि तब तक नोटिस पर कार्रवाई न करें।

हाई कोर्ट के इस निर्देश के खिलाफ 22 जुलाई को स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट चले गए। 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई को रोकने से इनकार कर दिया और सोमवार को सुनवाई तय की।

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