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स्पीकर जोशी और वैभव गहलोत का वीडियो वायरल, मच सकता है सियासी बवाल

जयपुर। राजस्थान के सियासी घमासान के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें सीपी जोशी कह रहे हैं कि 30 आदमी निकल जाते हैं तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। बताया जा रहा है कि यह वीडियो बुधवार का है। वैभव बुधवार को सीपी जोशी को जन्मदिन की बधाई देने उनके घर पहुंचे थे।

वीडियो में नजर आ रहा है कि सीपी जोशी कह रहे हैं कि टफ मामला हो गया है। इसके बाद वैभव गहलोत कहते हुए नजर आ रहे हैं कि राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के बाद निकाले फिर वापस। इसके जवाब में सीपी जोशी ने कहा कि 30 आदमी निकल जाते हैं तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।

30 सदस्यों के निकलने से गड़बड़ा जाते सारे समीकरण
वीडियो को देखकर ऐसा लग रहा है कि जोशी और वैभव दोनों प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक पर खुलकर चर्चा कर रहे थे। यहां 30 आदमी से मतलब 30 विधायकों से हैं। विधानसभा अध्यक्ष जोशी का कहना सही है कि 30 विधायक निकल जाते तो राज्य सरकार पर संकट खड़ा हो जाता। सरकार गिरने की नौबत आ जाती।

30 विधायकों के पाला बदलने से सबसे पहले उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाती। इसके बाद विधानसभा में 200 के बजाय 170 सदस्य ही रह जाते। ऐसे में बहुमत के लिए 86 सदस्य होना जरूरी हो जाता। वहीं 106 सदस्यों वाली कांग्रेस के विधायकों की संख्या सिमट कर 76 रह जाती। जो भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी रालोपा के मिलाकर 75 सदस्यों से एक ही अधिक होती। ऐसे में सारा दारोमदार निर्दलीय विधायकों के हाथ में होता और बदले माहौल में भाजपा के लिए निर्दलीय विधायकों को साधना ज्यादा मुश्किल नहीं होता।

डॉ. जोशी के लाडले माने जाते हैं वैभव
वैभव गहलोत हमेशा से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी के लाडले रहे हैं। यही कारण था कि उन्होंने खुद अपना पद छोड़कर वैभव की राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष पद पर ताजपोशी करवाई। डॉ. जोशी के समर्थन के बगैर वैभव कभी आरसीए के अध्यक्ष नहीं बन पाते। प्रदेश की राजनीति में डॉ. जोशी राजनीतिक रूप से गहलोत खेमे के माने जाते हैं। साथ ही साल 1998 में गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले उन्होंने ही रखा था। वहीं, कई बार का गहलोत के साथ राजनीतिक टकराव भी रहा है।

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