नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है। प्रशांत ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे और 4 पूर्व सीजेआई के खिलाफ ट्वीट किए थे। अब सजा को लेकर 20 अगस्त को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी ने प्रशांत भूषण के ट्वीट्स पर फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि कंटेम्नर (अवमानना करने वाला) के खिलाफ जो आरोप हैं, वे गंभीर हैं। कोर्ट ने इस मामले को खुद नोटिस में लिया था।
क्या लिखा था ट्वीट में?
एक ट्वीट में प्रशांत भूषण कथित रूप से लिखा था कि न्यायपालिका लोकतंत्र बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने चीफ जस्टिस बोबडे की इस वजह से आलोचना की थी कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
ट्विटर से पूछा था- ट्वीट डिलीट क्यों नहीं किए?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पिछले महीने ट्विटर से भी पूछा था कि अवमानना की कार्यवाही शुरू होने के बाद भी ट्वीट डिलीट क्यों नहीं किए गए? इस पर ट्विटर की ओर से पेश हुए वकील साजन पोवैया ने कहा, ‘‘कोर्ट आदेश जारी करे तो ट्वीट डिलीट किया जा सकता है। वह (कंपनी) खुद से कोई ट्वीट डिलीट नहीं कर सकती।’’
प्रशांत भूषण को पहले भी अवमानना का नोटिस दिया गया था
प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी।
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