संजीत हत्याकांड : सीएम से मिलने पैदल निकले घरवाले रोके जाने पर ट्रक के नीचे लेटे, पुलिसवालों ने हाथ जोड़कर मनाया

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में संजीत यादव किडनैपिंग और मर्डर केस में पुलिस के खिलाफ पीड़ित परिवार की नाराजगी बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को पीड़ित परिवार आवास के बाहर खड़े पुलिसवालों को चकमा देकर मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात करने के लिए कानपुर से लखनऊ के लिए पैदल निकल पड़ा। जब इस बात की भनक लगी तो बर्रा बाइपास पर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया तो पुलिस से झड़प हुई। इस दौरान एक ट्रक के सामने संजीत की बहन रुचि व मां कुसमा लेट गईं। यह देख पुलिसवालों ने हाथ जोड़कर उन्हें मनाया। अफसरों ने परिवार को मुख्यमंत्री से मिलाने का आश्वासन दिया है।

संजीत के परिवार के साथ तमाम लोग पैदल निकले थे।

 

परिवार के पीछे पीछे चल पड़ा हुजूम

संजीत के परिवार के पीछे-पीछे तमाम लोग लखनऊ जाने के लिए पैदल चल रहे थे। उनके हाथों में संजीत की बहन को इंसाफ दो जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां थीं। बर्रा बाइपास पर पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद एसीएम प्रथम मौके पर पहुंचे और परिवार वालों को कड़ी मशक्कत के बाद वापस कराया। इस दौरान हाईवे पर करीब एक घंटे हंगामा होता रहा। जिससे वाहनों की लंबी कतार पर भी हाईवे पर लगी रही।

पिता चमन ने बताया कि हम सभी लोग न्याय के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए पैदल ही लखनऊ जा रहे थे। लेकिन रास्ते में पुलिस ने रोक लिया। एसीएम प्रथम ने 2 दिन के अंदर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने का आश्वासन दिया है। हमारे द्वारा एसीएम प्रथम को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है।

बर्रा हाईवे पर पुलिस ने रोका तो लोगों ने किया हंगामा।

बहन ने कहा- सीबीआई जांच शुरू हो

इस दौरान रुचि ने पत्रकारों से कहा कि ना तो पुलिस भाई को जिंदा ला पाई और ना तो अब तक भाई का शव बरामद कर पाई है और ना ही सीबीआई जांच शुरू हुई है। अब मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं रहा है।

संजीत की बहन को इंसाफ दो, नारे लगाते हुए पैदल निकले लोग।

22 जून को हुआ था संजीत का अपहरण

लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का 22 जून को अपहरण हुआ था। 29 जून को उसके परिवार वालों के पास फिरौती के लिए फोन आया। 30 लाख रुपए फिरौती मांगी गई की थी। परिवार वालों ने पुलिस की मौजूदगी में 30 लाख की फिरौती दी थी। लेकिन न तो पुलिस अपहरणकर्ताओं को पकड़ पाई न संजीत यादव को बरामद किया गया।

21 जुलाई को जब पुलिस ने सर्विलांस की मदद से संजीत के दो दोस्तों को पकड़ा तो पता चला कि उन लोगों ने संजीत की 26 जून को ही हत्या कर दी गई थी। शव को पांडु नदी में फेंक दिया गया था। इसके बाद सीएम योगी के निर्देश पर इस मामले में एक आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था। पुलिस ने पांडु नदी में कई बार लगातार सर्च अभियान चलाया, लेकिन संजीत का शव हाथ नहीं लगा।

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