नई दिल्ली। 15 जून की रात गलवान में हुई झड़प के 78 दिनों के भीतर सरकार ने तीसरी बार चीन के मोबाइल ऐप के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। केंद्र ने बुधवार को मोबाइल गेमिंग ऐप पबजी समेत 118 ऐप पर बैन लगा दिया है। अकेले भारत में पबजी को 17.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है।
बैन की जानकारी देते हुए केंद्र ने कहा कि इन ऐप्स से भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा है। गलवान में भारत-चीन सैनिकों की झड़प के बाद ही पहली बार सरकार ने यही कारण बताते हुए 59 चीनी ऐप्स बैन कर दिए थे। इस बार भी सरकार ने यह कदम तब उठाया है, जब लद्दाख में तनाव बढ़ रहा है और चीनी सैनिकों ने दो बार घुसपैठ की कोशिश की है। यह तब हुआ, जब दोनों देशों के कमांडर हालात नॉर्मल करने के लिए बातचीत कर रहे थे।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि इन ऐप्स की ओर से इकट्ठे किए गए डाटा को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन्हे बैन करने का फैसला किया गया है। मद्देनजर इन्हें बैन करने का फैसला किया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंसर और होम मिनिस्ट्री की ओर से भी इन ऐप्स पर बैन लगाने की मांग की जा चुकी है।
इन ऐप्स पर लगाया गया बैन
जानिए क्या है पबजी?
पहले बैन किए जा चुके हैं 106 ऐप्स
इससे पहले केंद्र अब तक 106 चीनी ऐप्स पर बैन लग चुका है। एक महीना पहले 47 ऐप्स पर बैन लगाया गया था। इससे पहले सरकार ने टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, हेलो और शेयर इट जैसे 59 ऐप्स को बैन किया था। सरकार ने कहा कि इन चाइनीज ऐप्स के सर्वर भारत से बाहर मौजूद हैं। इनके जरिए यूजर्स का डेटा चुराया जा रहा था। इनसे देश की सुरक्षा और एकता को भी खतरा था। इसी वजह से इन्हें बैन करने का फैसला लिया गया।
हमारी जिंदगी में इन कंपनियों के जरिए भी घुसपैठ कर चुका है चीन
चीन में स्पष्ट नियम है कि चीन की हर निजी कंपनियों को हर तरह का डेटा सरकार को देना पड़ता है। यही नहीं, अगर चीन के बाहर की किसी कंपनी में चीनी कंपनी का निवेश है तो उस कंपनी का डेटा भी चीनी कंपनी के जरिए चीनी सरकार को देना ही पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीनी निवेश से चलने वाली कंपनियां भी भारत में यूजर्स की निजता व अन्य पहलुओं के लिहाज से खतरनाक हो सकती है।
इन 19 कंपनियों में चीनी निवेश
बिगबास्केट: यह भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर चेन बन चुकी है।
बायजूस: ऑनलाइन एजुकेशन देने वाला सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है।
ड्रीम-11: भारत में हाल ही में लोकप्रिय हुआ ऑनलाइन गेमिंग ऐप।
डेल्हीवरी: ई-कॉमर्स में सामानों की डिलीवरी करने वाली कंपनी।
हाइक: ऑनलाइन मैसेंजिंग ऐप। हालांकि बाजार हिस्सेदारी बहुत ज्यादा नहीं है।
फ्लिपकार्ट: देश के कुल ई-कॉमर्स में आधे से अधिक हिस्सेदारी इसी की है।
मेकमाईट्रिप: देश का सबसे बड़ा ट्रैवल पोर्टल बन चुका है।
ओला: देश के ऑनलाइन कैब बिजनेस में आधे से अधिक हिस्सेदारी इसी की है।
ओयो: बजट होटल संगठित क्षेत्र में आधे से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
पेटीएम मॉल: ई-कॉमर्स में जगह बनाने की कोशिश कर रही है।
पेटीएम: भारत में ऑनलाइन भुगतान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इसी की है।
पॉलिसी बाजार: ऑनलाइन बीमा पॉलिसी बेचने वाली एक ई-कॉमर्स।
क्विकर: सेकंड हैंड सामान बेचने और खरीदने का लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है।
रिविगो: लॉजिस्टिक कंपनी है।
स्नैपडील: बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी।
स्विगी: ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी।
उड़ान: बिजनेस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म।
जोमैटो: देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी।
डेलीहंट: न्यूज प्लेटफाॅर्म।
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