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कांग्रेस में बदलाव और नेताओं की छवि: राहुल लगाएंगे नैया पार?

लेखक- डॉ हिदायत अहमद खान

अब इसे सत्ता में आने की जल्दबाजी और छट-पटाहट कहें या फिर वाकई बदलाव करके पार्टी को दोबारा अपने पुराने स्वरुप में लाने की जद्दो-जेहद कि जहां एक युवा के हाथ में पार्टी की कमान सौंपी जा चुकी है तो वहीं अब महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के तहत उन्हें अधिकार के साथ अपनी पहचान बनाने वाले साधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं। प्रथमदृष्टा ये दोनों ही कदम स्वागतयोग्य हैं, क्योंकि जहां युवाओं को आगे करके पार्टी ही नहीं बल्कि देश की तरक्की के रास्ते आसानी से खोले जा सकते हैं तो वहीं देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को उनका अपना हक देकर हम प्रगति की रफ्तार को दोगुना कर सकते हैं। इस दृष्टि से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी जब यह कहते हैं कि महिलाओं को पार्टी में 50 फीसद हिस्सा मिलना चाहिए और इस दिशा में पार्टी ने कदम आगे बढ़ा दिया है, तो वाकई एहसास होने लगता है कि कांग्रेस में बदलाव की बयार चल रही है और वह भी सही दिशा में, क्योंकि यही वो रास्ता है जो संगठन को मजबूती प्रदान कर सकता है।

 

 

 

इस तरह महिला कांग्रेस को अपना एक अलग चिन्ह यानी ‘लोगो’ और ‘एंथम’ के साथ ही साथ ‘झंडा’ सौंपते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हमारी पार्टी महिलाओं को हर स्तर पर आगे लाना चाहती है। पार्टी और देश में एक नया इतिहास लिखने जैसे अवसर का साक्षी बना दिल्ली का तालकटोरा इंडोर स्टेडियम। जहां महिला कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘महिला अधिकार सम्मेलन’ को युवाओं का नेतृत्व करने वाले युवा नेता राहुल गांधी ने संबोधित किया और व दुनिया को संदेश दिया कि महिलाओं को उनके हक दिलाने में कांग्रेस अब पीछे रहने वाली नहीं है। यहां इस विषय में गंभीरता पूर्वक विचार करने और चिंतन-मनन करने की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि एक तरफ देश में मोदी सरकार के रहते हुए महिलाओं का उत्पीड़न नहीं रुक रहा है। मासूम बच्चियों को दरिंदे बड़ी संख्या में अपना शिकार बना रहे हैं और उनका सामूहिक बलात्कार कर बेरहमी से उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ संसद में महिलाओं के आरक्षण का मामला भी अटका हुआ है। ऐसे में जब राहुल गांधी यह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के बाकी जो अग्रिम संगठन हैं उनके पास झंडा है, लोगो है, मगर महिला कांग्रेस के पास शक्ति है झंडा नहीं है, लेकिन आज के बाद महिला कांग्रेस का झंडा पूरे हिन्दुस्तान में नजर आएगा।

 

 

 

इस प्रकार महिलाओं को पार्टी से जोड़ने और अपने हक की बात मजबूती के साथ रखने का अधिकार देकर कांग्रेस ने अपने आपको मजबूत करने जैसा काम किया है। यह इसलिए भी संभव हो सका है क्योंकि अगर देश में महिलाओं की 50 प्रतिशत आबादी है तो फिर उनको संगठन में भी 50 फीसदी जगह तो मिलनी ही चाहिए। यह सोच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की है, इसलिए संभावना ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि महिलाओं को हर स्तर के नेतृत्व में शामिल करने का लक्ष्य पार्टी द्वारा बहुत जल्द पा लिया जाएगा। गौरतलब है कि संसद में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपना समर्थन देने की बात कही थी, बावजूद इसके सरकार फैसला नहीं कर पाई और अब समय आ गया आम चुनाव का तो उम्मीद भी जाती रही कि महिला आरक्षण विधेयक पर कोई पुख्ता फैसला लिया जा सकता है। गौरतलब है कि महिला आरक्षण पर राहुल गांधी ने भी संसद में सरकार को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन सभी प्रयास ढाक के तीन पात साबित हुए। ऐसे में कांग्रेस को चाहिए कि वह आधी आबादी वाला यह सवाल जनता के बीच में लेकर जाए। यही नहीं बल्कि युवाओं के लिए बेहतर भविष्य का सपना भी उसे अब देश के सामने रखना होगा, ताकि युवा नेतृत्व को लेकर जो भ्रमजाल बनाया गया था उसे भी तोड़ा जा सके।

 

 

 

कांग्रेस में ताजा बदलाव के तहत जरुरी हो गया है कि नेताओं को राजनीति करते हुए समाजसेवा के क्षेत्र में बहुतायत से उतारा जाए, ताकि लोगों के दु:ख-दर्द से वो बावस्ता हो सकें। दरअसल लगातार सत्ता में रहते हुए कांग्रेस के अधिकांश नेताओं की कार्यशैली ‘एसी’ वाली हो गई है। कांग्रेस के अधिकांश नेता ही नहीं बल्कि प्रमुख कार्यकर्ताओं में भी आरामतलबी इस कदर आ चुकी है कि वो अपने क्षेत्र से गायब ही रहते हैं। गरीब किसान और मजदूर ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं के समीप जाने में भी भयखाता है जो कि एयरकूल्ड बंगलों में रहते हैं और लग्जरी वाहनों में सफर करते हैं। महानगरीय संस्कृति की बात तो यहां नहीं की जा सकती, लेकिन कस्वाई नगरों और ग्रामीण अंचलों में तो आज भी लोग एक-दूसरे के दु:ख-दर्दे में बराबर के शरीक होते हैं और एक दूसरे का हाल-चाल जानना रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल होता है। अब जबकि इन नेताओं का अपने क्षेत्र में आना-जाना ही सालों में एक-दो बार ही होता है तो फिर उनका अपनी क्षेत्र की जनता और उनकी समस्याओं से कैसे जुड़ाव हो सकता है। इसलिए जब राहुल गांधी ने महिलाओं को और अधिकार संपन्न बनाते हुए आगे लाने की बात कही तो यकीन हुआ कि अब कांग्रेस जमीनी स्तर पर अपने पुराने स्वरुप को प्राप्त करने में सफल होगी। इसके तहत प्रत्येक कांग्रेसी एक सच्चे समाजसेवी की तरह लोगों के बीच में रहकर अपने आपको स्थापित करेगा। यही संगठन को मजबूत करने और पार्टी को आगे बढ़ाने का सूत्र है, जिस पर लौटने की आवश्यकता है।

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