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कफील खान की कांग्रेस से बढ़ी नजदीकी, मुस्लिम चेहरे के तौर पर सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश

गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन कांड के बाद से चर्चा में आए डॉ. कफील खान आजकल कांग्रेस सरकार शासित राज्य राजस्थान के जयपुर में हैं। कफील खान ने वहां प्रेस कॉफ्रेंस करके खुद बताया कि प्रियंका गांधी ने उन्हें मथुरा जेल से जयपुर आने के लिए आमंत्रित किया था।

यही नहीं प्रियंका गांधी के कहने पर कफील को मथुरा जेल में रिसीव करने के लिए खुद कांग्रेस के सीनियर लीडर प्रदीप माथुर और कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष शाहनवाज आलम पहुंचे थे। ऐसे में अब यूपी के राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कफील खान जल्द ही पॉलिटिशियन के रूप में जनता के बीच होंगे।

क्या कफील खान का साथ कांग्रेस को मिलेगा और यदि साथ मिला तो इसका क्या फायदा होगा कांग्रेस को? ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशती यह रिपोर्ट-

प्रियंका गांधी यूपी में कफील को राज्य सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती हैं
डॉ. कफील खान को 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। तब से लेकर रिहा होने तक प्रियंका गांधी कई बार ट्वीट के जरिए कफील के समर्थन में खड़ी हो चुकी हैं। जेल से रिहा होने पर जयपुर तक सेफ पैसेज भी दिया। ऐसे में खबर है कि कांग्रेस चाहती है कि कफील खान अब पार्टी का चेहरा बन कर यूपी में लौटे। अभी तक जो घटनाक्रम है वह यही बताता है कि कफील जल्द ही कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं।

प्रियंका गांधी लगातार यूपी सरकार पर हमलावर रही हैं। ऐसे में वह कफील को राज्य सरकार द्वारा उत्पीड़न का मॉडल बना कर पेश कर सकती है। यह किसी से छुपा नहीं है कि भाजपा सरकार के खिलाफ एक वर्ग में काफी नाराजगी है। जिसका फायदा कांग्रेस कफील के जरिए जरूर उठाना चाहेगी।

गोरखपुर से बाहर भी कफील की चर्चा
योगी सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में डॉ. कफील को 3 बार जेल भेजा जा चुका है। इसके अलावा भी गाहे बगाहे किसी न किसी बहाने कफील चर्चा में रहते ही हैं। जानकारों का कहना है कि कफील अब नेशनल फेस बन चुके हैं। ऐसे में हर राजनीतिक दल उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश करेगा।

सीनियर जर्नलिस्ट मदन मोहन बहुगुणा कहते हैं, ”इस क्रम में देखे तो कफील को सपा और कांग्रेस का दोनों का ही सपोर्ट था लेकिन इस बार बाजी कांग्रेस मार ले गई। यदि वह कफील को पूर्वांचल में अपना फेस बना कर उतारती है तो 2022 के विधानसभा चुनाव में उसे कुछ न कुछ फायदा जरूर मिलेगा। रही बात सपा की तो वह सपोर्ट भले ही कफील को कर रही थी लेकिन वह उन्हें साथ लाने के लिए इतना एग्रेसिव नहीं थी।

अभी सपा के सामने सबसे बड़ा संकट है कि वह पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम फेस आजम खां को जेल से बाहर लाए जिसे योगी सरकार ने अलग अलग आरोपों में जेल में डाल रखा है।”

कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा डॉ. कफील से?
यदि कफील कांग्रेस के साथ आते हैं तो कितना फायदा मिलेगा? यह सबसे बड़ा सवाल है। हाल फिलहाल अभी इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है। लोकसभा चुनाव में बिहार में बेगूसराय सीट पर कन्हैया कुमार का हश्र देखा जा चुका है। मदन मोहन बहुगुणा कहते हैं कि यह जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस के पास पूर्वांचल में उन्हें एक फेस जरूर मिल जाएगा जो भाजपा से कुछ हद तक मोर्चा ले सकता है।

सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर कहते हैं, “पूर्वांचल में मुस्लिम आबादी भी अच्छी खासी तादाद में है। साथ ही यूपी में लगभग 19% के आसपास मुस्लिम आबादी है। कफील ऑक्सीजन कांड के बाद लगातार घूमते रहे हैं। एक वर्ग उनके सपोर्ट में भी है। ऐसे में वह न सिर्फ पूर्वांचल बल्कि यूपी में कांग्रेस का मुस्लिम फेस बन सकते हैं।

बाकी चुनाव में किसका कैसा प्रदर्शन रहेगा उस पर डिपेंड करता है क्योंकि मुस्लिम वर्ग सिर्फ फेस नहीं देखता है। खासतौर से वह अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहता है।”

प्रियंका नेता तो बना रही हैं लेकिन समर्थन नहीं मिल रहा है
जानकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी हाल ही में अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस अध्यक्ष बना कर लाई हैं। वह लगातार फील्ड में उतर रहे हैं। मुद्दे उठा रहे हैं। जो एक जुझारू लीडर को करना चाहिए वह सब कर रहे हैं, लेकिन जो जन समर्थन मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। साथ ही पार्टी के भीतर भी एक धड़ा उनके खिलाफ ही है।

ऐसे में अगर कफील को कांग्रेस यूपी में फेस बनाती है तो उसे सफल बनाने के लिए जमीन पर काम करना होगा। प्रियंका गांधी खुद जमीन पर उतर रही हैं मुद्दों को उठा रही हैं। उन्हें समर्थन भी मिल रहा है, लेकिन उनके नेताओं को वह समर्थन नहीं मिल रहा है जो चुनाव के लिए जरूरी है।

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