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हाइपरसोनिक मिसाइल क्लब में शामिल हुआ भारत, पीएम, ​​​रक्षामंत्री ने दी वैज्ञानिकों को बधाई

नई दिल्ली​​।​ भारत ने सोमवार को सफलतापूर्वक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल​(एचएसटीडीवी)​ का परीक्षण किया, जो स्वदेशी रक्षा तकनीकों और महत्वपूर्ण मील के पत्थर की एक विशाल छलांग है। ​यह परीक्षण ​​​ओडिशा तट पर ​कलाम द्वीप से ​किया गया​।​​ ​स्वदेशी तौर पर विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग ​करना ​सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अगले चरण में प्रगति के लिए मान्य हैं।​ इस सफल परीक्षण के बाद भारत अब अमेरिका, रूस, चीन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल क्लब में शामिल हो गया है।​

इस पर वैज्ञानिकों बधाई देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर व्हीकल की सफल उड़ान के लिए डीआरडीओ ( DRDO) को बधाई। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित स्क्रैमजेट इंजन ने उड़ान को ध्वनि की गति से 6 गुना गति प्राप्त करने में मदद की। आज बहुत कम देशों के पास ऐसी क्षमता है।

मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण के दौरान एचएसटीडीवी ने आवाज से छह गुना ज्यादा तेज गति यानी दो किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से दूरी तय की और 20 सेकेंड तक हवा में रहा। इसकी सहायता से लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल सिस्टम विकसित की जा सकती है। इस तकनीक की सहायता से कम लागत पर अंतरिक्ष में उपग्रह भी लांच किया जा सकता है। साथ ही इस तकनीक पर आधारित मिसाइल से दुनिया के किसी भी कोने में दुश्मन के ठिकानों को घंटे भर के भीतर में निशाना बनाया जा सकता है।

इस परीक्षण का मतलब है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ​(​​​​​​डीआरडीओ​)​ अगले पांच वर्षों में स्क्रैमजेट इंजन के साथ एक हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता हासिल करेगा, जिसमें दो किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की यात्रा करने की क्षमता होगी। यह स्वदेशी तकनीक ध्वनि की गति से छह गुना गति से यात्रा करने वाली मिसाइलों के विकास की ओर मार्ग प्रशस्त करेगी। एचएसटीडीवी)​ का परीक्षण करने में ओडिशा तट पर ​कलाम द्वीप से आज सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल बूस्टर का इस्तेमाल किया गया।

​​​रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ​डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि आज स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्शन प्रणाली का उपयोग कर हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंट्रेटर वाहन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। इस सफलता के साथ, सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अब अगले चरण की प्रगति के लिए स्थापित हो गई हैं।​ मैं इस महान उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं जो पीएम के​ ‘आत्मनिर्भर भारत​’​ के सपने को साकार करने की दिशा में है। मैंने परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस महान उ​​पलब्धि पर बधाई दी। भारत को उन पर गर्व है।

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