गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में बसपा-सपा सरकार में हुए 572.48 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच कराने का फैसला किया है। भाजपा की सरकार बनते ही वर्ष 2017 में सत्तारूढ़ होने के बाद जीडीए के काम का ऑडिट कराने का फैसला किया था।
जीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत ऑडिट में सामने आई है। प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि महालेखाकार की रिपोर्ट के संदर्भ में विधि व्यवस्था के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
जांच में मिलीं बड़ी खामियां
ऑडिट की जांच में सामने आया है कि भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाए बिना महायोजना में चिन्हित भू उपयोग में परिवर्तन करके पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की लागत पर विकासकर्ताओं को 572.48 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया।
लेखा परीक्षा में यह मिला कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने 4722.19 एकड़ भूमि के लिए विकासकर्ताओं की लेआउट योजनाओं को अनुमोदित किया था। इसमें उप्पल चड्ढा हाइटेक डेवलपर्स प्रा.लि. (अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013) के लिए 4004.25 एकड़ तथा सन सिटी हाईटेक इन्फ्रा प्रा.लि (जुलाई, 2011) के लिए 717.94 एकड़ की जमीन शामिल थी।
विकासकर्ताओं को अनुचित लाभ से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपए की नुकसान होना पाया गया है। यह मामला अक्टूबर, 2010 से अक्टूबर, 2013 के दौरान पूर्ववर्ती सरकारों के समय का है। प्रदेश में तब सपा व बसपा की सरकारें थी।
पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के महालेखाकार से ऑडिट की अनुमति नहीं होती थी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस ऑडिट को कराने का फैसला किया था।
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