पशुपालन टेंडर घोटाला मामला : निलंबित आईपीएस अरविंद सेन पर पुलिस का शिकंजा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी की साजिश में निलंबित आईपीएस अरविंद सेन के खिलाफ पुलिस गैर जमानती वारंट लेगी। मकदमें में आईपीएस का नाम आने के बाद पुलिस अब उनके खिलाफ चार्जशीट लगाने की तैयारी कर रही है।

जांच अधिकारी एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव ने इस मामले में तीन अन्य आरोपितों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू लेने के लिए को कोर्ट में अर्जी भी दी है। कोर्ट से वारंट मिलते ही आईपीएस के खिलाफ कार्यवाही करेंगी।

करोड़ों के इस घोटाले में एसटीएफ अब तक 9 लोगों को जेल भेज चुकी है जबकि जारी विवेचना में एक सप्ताह पहले 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद एक आईपीएस समेत 7 की जांच जारी है।पुलिस ने पड़ताल के दौरान निलंबित आईपीएस के जिस खाते में रुपए भेजे गए थे‚ उसकी डिटेल निकाली है। इस अहम तथ्य को विवेचना में शामिल किया गया है।

उधर‚ नाका कोतवाली में ले जाकर इंदौर के व्यापारी को धमकाने वाले पुलिसकर्मियों के नाम अभी तक गोपनीय रखे गये हैं। एसीपी गोमती नगर ने बताया कि फर्जीवाड़े के आरोपित सिपाहियों दिलबहार व उमेश मिश्र समेत तीन लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट के लिए न्यायालय में अर्जी दी गई है।

दिलबहार सिपाही की तलाश में हो रही छापेमारी
पुलिस टीम दिलबहार की तलाश में दबिश दे रही है। कई बार आरोपित के घर पर छापा मारा गया‚ लेकिन वह भाग निकला। पड़ताल में सामने आया है कि दिलबहार ने ही नाका पुलिस से मिलीभगत कर व्यापारियों को कोतवाली में प्रताड़ित करवाया था। दिलबहार के कहने पर ही नाका पुलिस ने व्यापारियों को हिरासत में लिया था और एनकाउंटर में मारने की धमकी दी थी।

राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद से होगी पूछताछ
दूसरी ओर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर ठगी के मामले में पशुपालन विभाग के राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद से जल्द ही पूछताछ की जाएगी। जांच अधिकारी एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र सिंह ने बताया कि राज्यमंत्री को नोटिस भेजा गया है। इसके बाद उनसे पूछताछ की जाएगी।

अभी तक की जांच में सामने आया है कि आरोपितों ने राज्यमंत्री का केबिन इस्तेमाल कर व्यापारियों को झांसे में लिया था।

क्या था मामला
साल 2018 में पशुधन घोटाले की पोल तब खुली थी जब इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने लखनऊ के हजरत गंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया था। पीड़ित ने आरोप लगाया था कि पशुधन विभाग में 214 करोड़ के टेंडर देने के एवज में तीन फीसदी कमीशन का प्रस्ताव मिला था। जिस पर एक फीसदी कमीशन के तौर पर एक करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया था।

आरोप है कि 31 अगस्त को उसे फिर बुलाया गया और पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय में आशीष राय ने खुद को एस के मित्तल बताकर उससे मुलाकात की और फर्जी वर्क ऑर्डर की कापी से दी। फिर उससे कई बार करोड़ों रुपए वसूले गए।

एसटीएफ की जांच में इंदौर के एक व्यापारी से पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के नाम पर 9 करोड़ 72 लाख रुपए हड़पने का मामला पकड़ा था।

इस पूरे फर्जीवाड़े में पशुधन राज्य मंत्री के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय के संविदा कर्मी और मंत्री का निजी सचिव धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव, अनिल राय और खुद को पशुधन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल थे।

मुख्य साजिशकर्ता आशीष राय ही पशुपालन विभाग के उपनिदेशक एसके मित्तल का कार्यालय का इस्तेमाल किया खुद उपनिदेशक बना था।

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