इसी वजह से देश की कुंडली में पूर्ण कालसर्प योग है। यही कारण है कि यह विशेष दिन पर बनने वाला योग सुख-समृद्धि और शांति उपाय की शुभ घड़ी लेकर आ रहा है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया हुआ है, इसलिए उनकी पूजा का विशेष महत्व है। नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र में जातक की कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। इस दोष से मुक्ति के लिए नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। इसके अलावा इस दिन पर रुद्राभिषेक करने से भी जातक की कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
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