नावों का संचालन शुरू होने से पटरी पर लौटेगी नाविकों की माली हालत

वाराणसी। देश ही नहीं, दुनियाभर में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना महामारी के बीच वाराणसी में लॉकडाउन के दौरान गंगा में नावों के संचालन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई थी। लेकिन, धीरे-धीरे अब स्थितियों में सुधार आ रहा है। अनलॉक में तमाम पाबंदियां हटने के बाद नावों का संचालन भी शुरू हो गया है।

कोरोना के डर से नहीं आ रहे पर्यटक

कोरोना के डर से पर्यटक काशी के गंगा घाटों से पूरी तरह नदारद हैं। मल्लाहों के रोजी रोटी पर भी संकट है। इन्हीं में से एक मजदूरी पर नाव चलाने वाले अशोक साहनी हैं। जिन्होंने जिंदगी से हारकर एक महीने पहले अपने दोनों हाथों की नसों को काट लिया था। स्थानीय लोगों ने किसी तरह अस्पताल में भर्ती कराकर उनकी जिंदगी को बचाया।

नाव चलाने वाले अशोक साहनी, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान कमाई न होने से निराश होकर हाथ की नसें काट ली थी।

अशोक साहनी ने बताया कि मजदूरी पर दशाश्वमेध घाट पर नाव चलाता हूं। 300 से 500 तक कमा लेता था। मार्च से सितंबर तक पहले लॉकडाउन फिर बाढ़ की वजह से नावें बंद थी।

किसी तरह 5 महीने परिवार लोगो की मदद से चला। ऑनलाइन क्लास बच्चे करते थे। उनके फीस का दबाव भी काफी बढ़ गया था। ऐसे में कर्ज भी काफी ले लिया था। इसी तनाव में मौत को गले लगाने का फैसला ले लिया।

घर पर बच जाता इसलिए बाहर हाथों के नसों को काट लिया था
शिवपुर अपने घर पर कई दिनों से सोचने के बाद बाहर आकर एक महीने पहले हाथों को काट लिया। कुछ राहगीरों ने बेहोश देखकर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां लोगों ने मदद कर मेरा इलाज कराया। मेरे पास पैसा भी नही था,पत्नी का गहना भी कर्ज में रखकर पैसे ले चुका था।

अशोक ने बताया कि मेरा कदम सही नहीं था। बच्चों और पत्नी को देखकर लगा, इनको बेसहारा छोड़ने का इरादा सही नहीं था। फिर समय का इंतजार करने लगा। अब नावों का चलना शुरू हो रहा हैं। पर्यटक आएंगे तो कमाई बढ़ेगी।

गंगा घाटों पर पसरा सन्नाटा।

 

बुरे समय में मालिक और नाविक समाज ने किया मदद
जब लाॅकडाउन और बाढ़ थी तो मालिक और सरकारी राशन की मदद से काफी दिन गुजरे। सरकारी राशन की दुकान से भी कुछ अनाज मिलता रहा। सरकारी मदद नाकाफी थी। कुछ भी खरीदने को पैसा चाहिए और वो पास था नहीं। शिवानंद साहनी ने बताया कि समय बहुत खराब गुजर रहा है।

घाट पर यात्री नही हैं। 6 महीने जिंदगी का सबसे खराब दिन गुजरा। परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया। पत्नी के गहने कर्ज में रख कर घर चलाना पड़ा। दो छोटे बच्चे हैं, उनका दूध भी नहीं हो पाता था। पता नहीं कब तक अच्छे दिन आएंगे।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago