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महान योद्धा ‘विराट’ को जीवनदान देगा बॉम्बे हाई कोर्ट

– मुंबई की कंपनी और गोवा सरकार ने रक्षा मंत्रालय से मांगा अनापत्ति प्रमाण पत्र
​​– जहाज को समुद्री संग्रहालय में बदलने की याचिका पर 3 नवम्बर को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। तीस साल तक देश की सेवा करने वाले युद्धपोत ​​आईएनएस विराट को टूटने से बचाने का मामला अब बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया है। मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर 3 नवम्बर को सुनवाई होगी। यही कंपनी जहाज को समुद्री संग्रहालय में बदलकर गोवा की ज़ुआरी नदी में रखने के लिए आगे आई है। मुंबई की कंपनी और  गोवा सरकार ने इस महान योद्धा को जीवनदान देने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मांगा है लेकिन अभी तक एनओसी न मिलने पर कोर्ट का रुख किया गया है।
‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ के नाम से पहचाना जाने वाला आईएनएस विराट मई 1987 में भारतीय नौसेना के परिवार का हिस्सा बना था। देश को 30 साल की सेवा देने के बाद इसे 6 मार्च, 2017 को रिटायर कर दिया गया था। इसके बाद ‘विराट’ को संग्रहालय या रेस्तरां में बदलकर ‘जीवनदान’ देने की भी कोशिशें हुईं लेकिन सारी कोशिशें तब बेकार हो गईं, जब गुजरात के अलंग स्थित श्री राम समूह ने 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इसे अपने नाम कर लिया।
इस समय यह जहाज गुजरात के भावनगर जिले के अलंग में दुनिया के सबसे बड़े जहाज विघटन यार्ड में पहुंच चुका है, जहां इसे तोड़कर ढेर में बदलने की तैयारी है। इस बीच मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड जहाज को ‘जीवनदान’ देकर समुद्री संग्रहालय में बदलने के लिए आगे आई है।
श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश पटेल जहाज को 100 करोड़ रुपये में इस कंपनी को बेचने के लिए तैयार हुए लेकिन उन्होंने सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग रख दी। इस पर कंपनी के परिचालन निदेशक विष्णु कांत का कहना है कि हमें सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के अलावा कुछ नहीं चाहिए, हम सारा पैसा लगा देंगे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता नौसेना में थे।
पूरे देश की भावना आईएनएस विराट के साथ जुड़ी हुई है। हम युद्धपोत को बचाने और इसे संग्रहालय में बदलने के लिए एक सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस युद्धपोत ने नवम्बर 1959 से अप्रैल 1984 तक एचएमएस हर्मीस के रूप में 25 साल तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की लेकिन उसने जहाज का क्रूर अंत नहीं किया। इसके बाद 30 साल तक गर्व से भारत की सेवा करने के बाद रिटायर हुआ।
उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज युद्धपोत को गोवा की जुआरी नदी के किनारे ‘प्रमुख विरासत स्थल’ में बदलने की योजना बनाई है, जिसमें समुद्री विमानन संग्रहालय और भारतीय नौसेना की उपलब्धियों और इतिहास के बारे में बताया जायेगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इसमें विमान प्रदर्शनी, कन्वेंशन हॉल, रेस्तरां, प्रदर्शनी केंद्र, परेड ग्राउंड आदि होंगे। इसे आर्थिक रूप से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए परियोजना के चारों ओर एक पूर्ण पर्यटन स्थल का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना न केवल देश के लिए एक नई संपत्ति होगी, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राज्य पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
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