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बीएसएनएल के दिन बहुरेः ग्राहक बनाने में अन्य कंपनियों को पछाड़ा

नई दिल्ली। भारत की सरकारी टेलीकाम कंपनी बीएसएनएल के दिन बहुरते दिख रहे है। उल्लेखनीय है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने दावा किया है कि उसने 2017-18 में नए ग्राहकों जोड़ने के मामले में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर जैसी निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों पीछे छोड़ दिया है। एक बयान में कंपनी ने बताया कि वह इस साल अपने नेटवर्क विस्तार पर 4,300 करोड़ रुपए खर्च कर मुनाफा कमाने की योजना बना रही है। बीएसएनएल के चेयरमैन अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि 2017-18 में बीएसएनएल ने 11.5 फीसदी नए ग्राहक जोड़े। उन्होंने कहा कि दूरसंचार उद्योग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान भारती एयरटेल ने 9.5 फीसदी, वोडाफोन ने 3.8 फीसदी और आइडिया ने 3.2 फीसदी विकास दर्ज किया है। श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में 1.13 करोड़ यूजर्स ने प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को छोड़कर बीएसएनएल को अपनाया है।

 

 

उल्लेखनीय है कि यह विकास ऐसे समय में दर्ज किया गया है, जब सितबंर 2016 में जियो की एंट्री के बाद से इंडस्ट्री में ग्राहकों को जोड़ने की होड़ तेज हो गई है। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2018 में बीएसएनएल का वायरलेस सब्सक्राइबर बेस 11.16 करोड़ था। इससे पहले यह दिसंबर 2017 में 10.79 करोड़ और मार्च 2017 में 10.1 करोड़ था। इसी अवधि में मार्केट लीडर भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या 27.36 करोड़ से बढ़कर 30.87 करोड़ हो गई है। मुकेश अंबानी की जियो की एंट्री से एयरटेल समेत सभी मौजूदा कंपनियों के रेवेन्यू और मुनाफे को चोट पहुंची थी। वहीं, रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और टाटा टेलिसर्विसेज जैसी कंपनियों को मैदान छोड़ना पड़ा और एयरसेल ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। बीएसएनएल भी प्रतिस्पर्धा से प्रभावित हुई।

 

 

 

बीएसएनएल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी ने 2017-18 में प्रोविजनल और अनऑडिटेड के तौर पर 4,785 करोड़ रुपए का नेट लॉस दर्ज किया। बीएसएनएल को 2016-17 में 4,786 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में बीएसएनएल की आमदनी घटकर 27,818 करोड़ रुपए हो गई, जो एक साल पहले 31,533 करोड़ रुपये थी। हालांकि, सरकारी दूरसंचार कंपनी का इरादा वित्त वर्ष 2018-19 में ढ़ांचागत विकास और नेटवर्क आधुनिकीकरण गतिविधियों पर 4,300 करोड़ रुपए खर्च करने का है। उल्लेखनीय है कि रिलायंस द्वारा जियो को मार्केट में उतारे जाने के बाद कई कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ा था।

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