श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट ने कट्टर अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति संजीव कुमार और न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने अलगाववादी मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मसरत आलम को रिहा करने का आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि आलम के खिलाफ नजरबंदी के आदेश ने उनका जीवन खराब कर दिया है।
मसरत आलम को 36 बार सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में रखने का रिकॉर्ड है।
पीएसए के हिरासत का आदेश आखिरी बार 14 नवंबर, 2017 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया था।
उन्हें वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी के करीबी विश्वासपात्र के रूप में जाना जाता है।
अधिकारियों का मानना है कि 2016 में विरोध प्रदर्शन के आयोजन में मसरत आलम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जब हिज्बुल के पोस्टर बॉय बुरहान वानी को अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में 8 जुलाई 2016 को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मार दिया गया था।
2016 में सुरक्षा बलों और बेलगाम भीड़ के बीच खूनी संघर्ष में कुल 98 लोग मारे गए और 4,000 से अधिक घायल हुए।
सुरक्षा बलों द्वारा पेलेट गनशॉट के इस्तेमाल के कारण कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से देखने की शक्ति खो दी।
रिपोटरें में कहा गया है कि 100 से अधिक नेत्र शल्य चिकित्सा एक प्रसिद्ध नेत्र सर्जन द्वारा किए गए थे, जो 2016 में कश्मीर आए थे। उनकी आंखों में गोली के र्छे लगे।
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