यह सही है कि मोदी सरकार ने सत्ताग्रहण करते ही भारत की उस तटस्थ नीति का त्याग कर दिया था और पंचशील सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी थी, जिसके आधार पर पिछले छः दशक से भारत की विश्व में अनूठी पहचान थी, पंचशील के तहत हमने तटस्थ रहकर विश्व की दोनों महाशक्तियों रूस व अमेरिका में अपनी अलग पहचान बनाई थी, किंतु अब धीरे-धीरे हमारी छवि ‘पिछलग्गू’ देश की बन रही है, क्योंकि हम कभी ट्रम्प के निकट जाने का प्रयास करते है और कभी पुतीन के? हमारी अपनी नीति कोई रही ही नहीं? हम विभिन्न देशीय संगठनों के सम्मेलनों के दौरान अपने आपकों अभी भी तटस्थ दिखाने की कौशिश करते है और धीरे-धीरे विश्वव्यापी होते जा रहे आतंकवाद और उसको प्रश्रय देने वाले पाकिस्तान जैसे देश की जमकर आलोचना भी करते है, और फिर उसी आतंक के अश्रयदाता देश के साथ सैनिक अभ्यास करने को सहमत हो जाते है, वह भी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के सामने ‘साक्षात दण्डवत’ करके? हमारे ऐसे फैसलों से विश्व में हमारी कैसी साख बनेगी, इसकी परवाह या कल्पना कभी हमारे प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री ने की ?
रूस के चेव्राकुल में पिछले शुक्रवार से यह शांतिमिशन की आड़ में आठ देशों का संयुक्त सैनिक अभ्यास शुरू हुआ है जो बुधवार 29 अगस्त तक जारी रहेगा, इस संयुक्त अभ्यास में रूस के 1700 सैनिक भाग ले रहे है, जबकि भारत के दौ सौ और पाकिस्तान के एक सौ दस सैनिक भाग ले रहे है। भारत की राजपूत रेजिमेंट के 167 और वायुसेना के 33 सैनिक इसमें शामिल किए गए है, इनमें चार महिला सैनिक अधिकारी भी शामिल है। भारत, पाक, रूस के अलावा कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन और ताजिकिस्तान भी इस सैन्य अभ्यास में शामिल है। चार देशों को आब्जर्वर व छः देशों को डाॅयलाॅग पार्टनर का दर्जा दिया गया है। इस आयोजन के आयोजक संगठन शंघाई को आॅपरेशन संगठन का गठन 2001 में हुआ था, भारत व पाक पिछले साल ही इस संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बने है। इस सैन्य अभ्यास का मूल मकसद आतंकवादियों के खिलाफ आॅपरेशन चलाने का प्रशिक्षण देना है, भारत के इसमें शामिल होने का मूल मकसद इस संगठन के बतौर सदस्य विश्व में आतंक विरोधी मिशन तैयार करना है तथा भारत में बढ़ते आतंकवाद व घुसपैठ को रोकना है। अब पाकिस्तान का इस आयोजन में शिरकत करने का मूल उद्देश्य क्या है? यह किसी से छुपा नहीं है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि भारत इस आयोजन में जिन अन्य सात देशों के साथ सैनिक अभ्यास कर रहा है, उनमें पाक के साथ चीन भी शामिल है, जहां के सैनिकों के कारण हमारी सीमा असुरक्षित व अशांत है, इसके बावजूद भारत अगले कुछ ही दिनों में चीन की सैना के साथ द्विपक्षीय सैनिक अभ्यास शुरू करने जा रहा है? अब तो हमारी बुद्धि और दूरदर्शिता का भगवान ही मालिक है?
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