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स्वास्थ्य बीमा ले रहे हैं तो इसमें छिपी शर्त को जरूर देखिए, होगा फायदा

नई दिल्ली। एक तकनीकी डोमेन और एक लीगल कान्ट्रैक्ट होने के नाते, अधिकांश लोगों के लिए बीमा की शर्तों को समझना बहुत मुश्किल होता है। इसके अलावा बात जब बीमा कान्ट्रैक्ट की आती है तो नियमों, शर्तों और बीमा से जुड़े शब्दों का मकड़जाल एक आम आदमी के लिए जले पर नमक छिड़कने जैसी बात हो जाती है।

यह बीमा के बारे में जागरूकता पैदा करने में एक बाधा के रूप में बन गया है। हम स्वास्थ्य बीमा से जुड़े यहां कुछ ऐसे शब्दों के बारे में खुलासा कर रहे हैं। इनके बारे में आपको अवश्य जानना चाहिए ताकि आप बीमा को लेकर एक बेहतर फैसला ले सकें।

सहभुगतान या कोपेमेंट

सह-भुगतान या को-पेमेंट, बीमा लेने वाले और बीमा कंपनी के बीच दावा राशि के पूर्व-निर्धारित प्रतिशत (pre-defined percentage) को साझा करने के विकल्प को बताता है। इस विकल्प का प्रयोग करने से हेल्थ प्लान खरीदते समय प्रीमियम कम करने में मदद मिलती है।

एक को-पेमेंट बीमा कंपनी की देनदारी को प्रतिबंधित करता है। क्योंकि बीमा लेने वाला व्यक्ति अपनी जेब से कुल दावा राशि का कुछ प्रतिशत हिस्सा खुद वहन करने के लिए सहमत होता है।

कटौती या डिडक्टेबल

​​​​​​​डिडक्टीबल या कटौती एक विशेष राशि होती है जिसके तहत बीमाधारक को स्वास्थ्य बीमा योजना अमल में आने से पहले के खर्च को वहन करने को बताता है। प्रत्येक पॉलिसी में स्वैच्छिक कटौती का एक कम्पोनेन्ट होता है। चूंकि यह व्यवस्था बीमाकर्ता को उनके दायित्व के एक हिस्से से राहत देती है, इसलिए प्रीमियम कम करने में सहायक होता है। डिडक्टेबल जितना ज्यादा होता है, प्रीमियम उतना ही कम होता है।

उदाहरण के लिए, यदि आपने अपनी पॉलिसी में 10,000 रुपए की कटौती या डिडक्टेबल का विकल्प चुना है, तो 1 लाख रुपए के दावे के मामले में आपको पहले 10,000 रुपए पहले खुद वहन करना होगा। बाकी 90,000 रुपए बीमा कंपनी ध्यान में रखेगी। यदि दावा राशि 10,000 रुपए से नीचे है तो ग्राहक को ही पूरा खर्च वहन करना होगा।

डे केयर ट्रीटमेंट

ये अस्पताल या डे केयर सेंटर में जनरल या लोकल अनेस्थेसिया के तहत 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती होने की स्थिति में किए गए इलाज या ऑपरेशन की प्रक्रियाओं से संबंधित होता है। यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि डे केयर ट्रीटमेंट में ओपीडी शामिल नहीं हैं। कुछ सामान्य डे केयर ट्रीटमेंट में मोतियाबिंद सर्जरी, कोरोनरी एंजियोग्राफी, कीमो थेरेपी, डायलिसिस, आदि शामिल किए जाते हैं। ​​​​​​​

ग्रेस पीरियड

यदि आप समय पर अपने बीमा प्रीमियम का भुगतान करना भूल जाते हैं, तो बीमा कंपनी आपको पेमेंट करने के लिए अतिरिक्त 30 दिन देती है। हालांकि आप इस लैप्स समय के दौरान कवर नहीं किए जाएंगे। पर यदि एक बार आप प्रीमियम भर देते हैं तो पॉलिसी बहाल कर दी जाती है और इसके तहत सभी लाभों को बरकरार रखा जाता है।

अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद का खर्च

डायग्नोस्टिक टेस्ट, कंसल्टेशन आदि में अस्पताल में भर्ती होने से पहले किए गए खर्चों को अस्पताल में भर्ती से पहले के मेडिकल खर्च (pre-hospitalization medical expenses) के रूप में जाना जाता है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद किए गए खर्च को अस्पताल में भर्ती होने के बाद के मेडिकल खर्च (post-hospitalization medical expenses) खर्च के रूप में जाना जाता है, जिसमें फॉलो-अप दवाएं, जांच, फिजियोथेरेपी, डायलिसिस, कीमो उपचार आदि शामिल होते हैं।

अस्पताल में भर्ती होने से पहले 30 से 60 दिन की अवधि प्री-हॉस्पिटलाईजेशन जबकि अस्पताल में भर्ती के 90 से 180 दिन की अवधि पोस्ट-हॉस्पिटलाईजेशन की मानी जाती है।

फ्री लुक पीरियड:

फ्री लुक पीरियड पॉलिसी डॉक्युमेंट की प्राप्ति की तारीख से 15 दिन की अवधि है, जो हर नए स्वास्थ्य बीमा या व्यक्तिगत दुर्घटना पॉलिसी धारक को दी जाती है। इस समय के दौरान आप फिर से विश्लेषण कर सकते हैं कि क्या कोई विशेष योजना आपके लिए उपयुक्त है या नहीं। इन निर्धारित 15 दिनों के भीतर यदि आपको पॉलिसी ठीक नहीं लगती है, तो इसे रद्द किया जा सकता है और प्रीमियम वापस कर दिया जाएगा। हालांकि, कवर किए जाने की स्थिति में बीमाकर्ता आपसे प्रशासनिक खर्चों के लिए चार्ज लेगा।

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