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मुगल संग्रहालय पर सियासत: सोशल इंजीनियरिंग के रास्ते पर अखिलेश यादव

लखनऊ। बीते सितंबर में CM योगी ने आगरा में बन रहे मुगल संग्रहालय का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी महाराज कर दिया था। नाम बदलने के तीन महीने बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निर्माणाधीन संग्रहालय का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया।

अखिलेश यादव ने लिखा है कि आगरा में सपा के समय शुरू हुआ मुग़ल संग्रहालय सपा सरकार आने पर राष्ट्रीय एकता एवं बहुधर्मी साझी विरासत के नाम से जाना जाएगा। आने वाले समय में सपा इसमें महाराज अग्रसेन, राजमाता जीजाबाई, छत्रपति शिवाजी महाराज व शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लगवाएगी। सियासी गलियारों में इस ट्वीट के तमाम मतलब निकाले जा रहे हैं।

सोशल इंजीनियरिंग की तरफ बढ़ रही है सपा
सीनियर जर्नलिस्ट रतनमणि लाल कहते है कि समाजवादी पार्टी पिछले कई सालों से एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को लेकर अपनी राजनैतिक हैसियत बनाये हुए है। लेकिन जबसे भाजपा ने ओबीसी और सवर्णों में अपनी पैठ और मजबूत की है तबसे समाजवादी पार्टी को लगने लगा है कि कहीं कोई ऐसा काम न हो जिससे यादव या अन्य कम्युनिटी जो सपा से जुड़ी है, उन्हें यह न लगे कि सपा मुस्लिम परस्त पार्टी है।

यही वजह है पिछले दो-तीन सालों को देखिए तो कभी वह कृष्णा की मूर्ति लगाने की बात करते हैं तो कभी परशुराम की मूर्ति लगाने वादा करते हैं।

सीनियर जर्नलिस्ट ने कहा कि यह सबकुछ बहुसंख्यकों से अपना जुड़ाव बनाये रखने का संकेत दे रहा है। चूंकि आगरा, मथुरा, इटावा एक तरह से समाजवादी गढ़ रहा है और जिस तरह से भाजपा ने मथुरा और बृज क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया है, उसके बाद सपा के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह अपनी बढ़त बनाये रखे।

इसलिए वह महाराजा अग्रसेन, राजमाता जीजाबाई, छत्रपति शिवाजी महाराज और शहीद भगत सिंह की मूर्ति लगाने की बात कर रहे हैं। यह सपा का बहुसंख्यकों को सिर्फ एक मैसेज है कि हम केवल एमवाई समीकरण लेकर नहीं चल रहे है, हमें आपका भी ख्याल है।

रतनमणि लाल कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियां बहुत सोच समझ कर कदम उठाती हैं। उन्होंने पहले देखा समझा होगा कि क्या हम अगर म्यूजियम का नाम बदलने का एलान करते हैं तो हमें समर्थन मिलेगा। लेकिन फीडबैक ऐसा मिला होगा कि समर्थन नहीं मिलेगा।

अब मुगल म्यूजियम का नाम बदलने का मुद्दा नहीं उठाएगी सपा
सीनियर जर्नलिस्ट समीरात्मज मिश्रा कहते हैं कि समाजवादी पार्टी जब भी सत्ता में आएगी वह किसी का भी नाम नहीं बदलेगी। भले ही इलाहाबाद का नाम बदलने से लोगों में असंतोष पैदा हुआ हो लेकिन वह नाम अब लोगों ने स्वीकार कर लिया है। साथ ही समाजवादी पार्टी बहुसंख्यकों को भी नाराज नहीं करना चाहेगी।

नाम बदले या न बदले हमे कोई फर्क नही पड़ता: जफरयाब जिलानी

वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी कहते है कि हमारा देश गंगा जमुनी तहजीब का है। अब म्यूजियम का नाम मुगल हो या छत्रपति शिवाजी हो क्या फर्क पड़ता है। जफरयाब जिलानी कहते है कि हमारी सोच कभी नही ऐसे नही रही कि हम नाम बदले। अगर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नाम बदलने का एलान नही किया है तो यह बहुत बेहतर फैसला है।

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