लखनऊ। अपने संगम के लिए दुनियाभर में प्रसिद्व इलाहाबाद अपने पुराने दौर में वापस लौट गया है। इसको अब इलाहाबाद नहीं प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में संपन्न हुई कैबिनेट बैठक में कुल 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज करने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग गई। इलाहाबाद का ऐतिहासिक नाम प्रयाग था। इलाहाबाद में कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी यह मुद्दा आया था। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किये जाने की मांग अरसे से चल रही है। राज्यपाल राम नाईक ने भी इसके नाम बदलने पर सहमति जताई थी।
1583 में मुगल शासक अकबर ने इसका नाम इलाहाबाद किया था। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग लंबे समय से साधु संत कर रहे थे। इतिहास के जानकारों की माने तो अकबर ने 1574 में गंगा के तट पर किले की नींव रखी थी, जो 1583 में तैयार हुआ था, तब इस शहर का नाम अल्लाहाबाद रखा था, जो बाद में इलाहाबाद कहलाने लगा। कैबिनेट की बैठक में 12 अन्य प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। सरकार ने दुग्ध नीति को ब्लॉक स्तर पर ले जाने के लिए मंजूरी दी। फैसला लिया गया कि उत्कृष्ट दुग्ध उत्पादकों को नंद बाबा अवार्ड दिया जाएगा।
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