नई दिल्ली। केरल में भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर के कपाट बुधवार को खुलने जा रहे हैं। लेकिन केरल में भारतीय जनता पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रही है। इसकी वजह यह है कि चार राज्यों की 44 सीटें ऐसी हैं, जिनपर अयप्पा समर्थक निर्णायक भूमिका में हैं। हालांकि केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में अहम फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वार सभी महिलाओं के लिए खोल दिये। अब इस मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश मिलेगा। कोर्ट ने 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक का नियम रद करते हुए कहा है कि यह नियम महिलाओं के साथ भेदभाव है और उनके सम्मान व पूजा अर्चना के मौलिक अधिकार का हनन करता है। शारीरिक कारणों पर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकना गलत है।
सीएम विजयन ने कहा, ‘देखिए, हम पहले ही यह कह चुके हैं कि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई भी पुनर्विचार याचिका नहीं दी जाएगी। हम यह कह चुके हैं कि कोर्ट के फैसले का पालन किया जाएगा। हम किसी को भी कानून अपने हाथों में नहीं लेने देंगे। सरकार यह निश्चित करेगी कि सबरीमाला मंदिर में सभी आसानी से प्रवेश करें और उन्हें अयप्पा भगवान के दर्शन हो पाएं। इधर, श्रद्धालु अपने सिर पर पोटली रखकर सबरीमाला मंदिर के लिए चल पड़े हैं। सबरीमाला मंदिर की लड़ाई तृप्ति देसाई ने लड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने ऐलान किया वे जल्द मंदिर में प्रवेश करेंगी।
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