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सियासी पारा बढ़ा : क्या बिहार में बन पाएंगे नए सियासी समीकरण ?

नई दिल्ली। बिहार भले ही ठंड से ठिठुर रहा हो लेकिन राज्‍य का सियासी पारा बढ़ा हुआ है। जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद से ही बिहार की सियासत में नई संभावनाएं जन्‍म लेने लगी हैं।विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही जेडीयू एनडीए में खुद को असहज महसूस कर रहा है। कारणों की लंबी फेहरिश्त है।

दूसरी ओर बिहार में ताजा सियासी हाल को देखते हुए रांची में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी एक्टिव हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक लालू के प्लान पर बिहार में पार्टी ने काम शुरू भी कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश में जदयू के विधायकों के भाजपा में जाने के बाद बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खेमे में नाराजगी पर उनकी पैनी नजर है।

इस बीच आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बयान दिया है कि जनता दल यूनाइटेड में टूट होना तय है, जदयू अपने विधायकों को बचा सकती है तो बचा ले।

दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को आरजेडी नेता श्याम रजक के उस बयान को बेबुनियाद बताया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि जनता दल यूनाइटेड के 17 विधायक उनके जरिए आरजेडी के संपर्क में हैं और जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे। नीतीश कुमार के इसी दावे पर मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि जनता दल यूनाइटेड में टूट होना तय है।

मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ”मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जनता दल यूनाइटेड में नहीं होगी टूट, मगर सहयोगी ने अरुणाचल में उनके विधायकों को लिया लूट। अब किस मुंह से नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बिहार में उनकी पार्टी नहीं टूटेगी। जनता का साथ पहले ही नीतीश कुमार से छूट गया है. अब जल्द ही उनकी पार्टी में भी टूट होगी। नीतीश कुमार ने बिहार में आरजेडी के 5 एमएलसी को तोड़ा था, जिसका बदला बीजेपी ने अरुणाचल में ले लिया। जदयू अब बचने वाली नहीं है।”

इससे पहले आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को ऑफर देते हुए कहा था कि अगर वह बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना देते हैं, तो 2024 में तमाम विपक्षी दल उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने पर विचार कर सकते हैं।

ताजा सियासी हालातों को देखते हुए लालू ने बिहार की सत्ता पर काबिज होने के लिए राजद का मास्‍टर प्‍लान बनाया है। उन्‍होंने तेजस्‍वी यादव को इस बाबत खास निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही राजद के सिपहसलारों को दो अलग-अलग मोर्चे पर तैनात किया गया है।

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को उम्मीद है कि बिहार में जल्द ही एक बार फिर राजनीतिक परिवर्त्तन होगा। पिछले दिनों स्वास्थ्य का हाल जानने रांची आए तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को लालू प्रसाद ने अपने राजनीतिक अनुभव से कई सलाह दी और उसी रणनीति के तहत काम करने का निर्देश दिया है।

वहीं आरजेडी नेताओं को भी यह उम्मीद है कि नए साल में लालू प्रसाद के जेल से बाहर निकलने पर बिहार में तेजी से राजनीतिक परिदृश्य बदलेगा। लालू प्रसाद ने तेजस्वी और तेजप्रताप के माध्यम से बिहार के पार्टी नेताओं को मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में कोई भी राजनीतिक बयान संभल कर देने का निर्देश दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू प्रसाद के निर्देश पर ही आरजेडी के नेता दो अलग-अलग मोर्चे पर काम कर रहे है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी अपने पुराने संबंधों को लेकर जदयू के शीर्ष नेताओं को साधने में जुटे है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक जैसे नेता अपने बयानों के माध्यम से सत्ता परिवर्त्तन का माहौल बनाने में जुटे हैं। यही कारण है कि फिलहाल आरजेडी के नेता बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे राजनीतिक हमले से बच रहे है, वहीं जदयू (JDU) के कई विधायकों से भी अलग-अलग संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है।

दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर राजनीति तेज है। आरजेडी नेता यह समझाने कि कोशिश में जुटे हैं कि बीजेपी सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए सहयोगी दलों को लगातार कमजोर करने का प्रयास करती है।

इसे लेकर जदयू के अलावा सहयोगी पार्टी HAM के नेताओं ने भी बीजेपी को गठबंधन धर्म का पालन करने की नसीहत दी है। जबकि पिछले शनिवार को रांची आए तेज प्रताप यादव ने भी साफ तौर पर कहा था कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों को ही निगलने का काम करती हैं।

इधर, आरजेडी नेताओं का यह भी मानना है कि उनके नेता लालू प्रसाद को चारा घोटाले के तीन मामलों में जमानत मिल गई है और चौथे मामले में 22 जनवरी को सुनवाई होनी है। पार्टी नेताओं को यह उम्मीद है कि आधी सजा पूरी कर लेने और स्वास्थ्य कारणों की वजह से लालू प्रसाद को भी अन्य अभियुक्तों की तरह अदालत से जमानत मिल जाएगी।

लालू प्रसाद के जेल से बाहर आ जाने के बाद आरजेडी के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा, क्योंकि बिहार की राजनीति में अब भी लालू प्रसाद की पकड़ मजबूत मानी जाती है। जेडीयू में भी चुनाव जीत कर आये कई विधायकों से लालू प्रसाद का पुराना संबंध रहा है। इसके अलावा वो सरकार में शामिल अन्य दलों के नेताओं के साथ ही विपक्षी विधायकों को भी मजबूती से एकजुट करने में सफल हो सकते हैं।

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