नई दिल्ली। भारतीय सेना ने ’आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के हिस्से के रूप में नए साल के पहले दिन पहला रक्षा अनुबंध गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ 12 गश्ती नौकाओं के लिए किया है। इन नौकाओं की आपूर्ति मई, 2021 से शुरू होगी। यह नौकाएं पूर्वी लद्दाख में आठ माह से चीन के साथ चल रहे गतिरोध के मद्देनजर पैन्गोंग झील में सेना की गश्त बढ़ाकर चीनी सैनिकों से मुकाबला करने के लिए खरीदी गईं हैं।
भारत और चीन के बीच 8वीं सैन्य वार्ता में बनी सहमतियों को जमीन पर उतारने के लिए दोनों देशों में अगली वार्ता की तारीख अब तक नहीं तय हो पाई है। झील के उत्तरी किनारे के फिंगर एरिया में आठ महीने से चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ गतिरोध चल रहा है।
फिलहाल सैन्य टकराव कठोर सर्दियों तक जम गया है और दोनों देशों के सैनिक बर्फीली ऊंचाइयों पर तैनात हैं। भारत और चीन के बीच सबसे विवादित क्षेत्र पैन्गोंग झील का दो तिहाई हिस्सा चीनी सेना नियंत्रित करती है। चीनी सैनिक बेहतर नावों का उपयोग तेज गति से करते हैं जिसके मुकाबले भारतीय गश्ती नौकाएं हल्की पड़ती हैं। चीनी पीएलए हाईटेक नावों से पैन्गोंग झील में गश्त करती है, इसलिए भारतीय सेना को भी चीनियों से मुकाबला करने के लिए नई नावों की जरूरत थी।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में इस समय माइनस में पारा पहुंचने के बाद पैन्गोंग झील बर्फ बनने के करीब है लेकिन सेना ने सर्दियां खत्म होने के बाद पेट्रोलिंग के लिए हाईटेक नावें खरीदने की योजना बनाई है। अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली नावों की आवश्यकता को देखते हुए पूर्वी लद्दाख की पैन्गोंग झील में गश्त बढ़ाने के लिए 12 नई तेज गश्ती नौकाओं का आदेश दिया गया है।
यह अनुबंध भारत के पश्चिमी तट पर 1957 में स्थापित की गई गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ किया गया है। सेना ने जल क्षेत्रों में निगरानी और गश्त के लिए दिए गए इस ऑर्डर की डिलीवरी 20 मई से शुरू होगी।
हालांकि भारतीय नौसेना ने पिछले साल पैन्गोंग झील में मार्कोस कमांडो तैनात करके एक दर्जन से अधिक उच्च-शक्ति वाली बड़ी नावें भेजी थीं, ताकि भारतीय सेना पैन्गोंग झील में गश्त कर सके। नौसेना के मार्कोस कमांडो और वायुसेना के गार्ड कमांडो अपने मिशन को चुपके से निपटाने में माहिर होते हैं, इसीलिए इन्हें अत्यधिक ठंडे मौसम की स्थिति में घुसपैठ रोकने की ट्रेनिंग के साथ तैनात किया गया है। मार्कोस कमांडो को पैन्गोंग क्षेत्र में इसलिए तैनात किया गया है, क्योंकि यहीं पर भारतीय और चीनी सेना 8 माह से संघर्ष की स्थिति में आमने-सामने हैं।
दोनों देशों के बीच 6 नवम्बर को कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के आठवें दौर के बाद अब तक कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है। पारस्परिक रूप से स्वीकार्य पीछे हटने के तौर-तरीकों और सहमतियों को जमीन पर उतारने के बारे में वार्ता लगभग रुकी हुई है।
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