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श्मशान हादसे का चश्मदीद: दादा का अंतिम संस्कार चल रहा था, अचानक तेज आवाज हुई…

गाजियाबाद। मुरादनगर में रविवार दोपहर को श्मशान में हुए हादसे में 21 लोगों की मौत हो गई। इनमें जयराम के परिवार का एक सदस्य भी शामिल है। यहां फल विक्रेता जयराम के अंतिम संस्कार के दौरान गैलरी की छत गिर गई थी। चश्मदीदों के मुताबिक, हादसे के बाद का मंजर बेहद भयावह था। मलबे में दबे लोगों के शरीर के अंग तक कट गए थे।

जयराम के पोते देवेंद्र ने बताया- दादा का अंतिम संस्कार चल रहा था। उस समय बारिश हो रही थी, तो लोग नई बनी गैलरी में खड़े हो गए। अचानक तेज आवाज आई। जब मैं उस तरफ दौड़ा, तो देखा कि छत गिर चुकी थी। कई लोग इसके नीचे दबे हुए थे। हादसे में मेरे चाचा की मौत हो गई। बड़े चाचा का लड़का भी मलबे में दबा था। उसे अस्पताल में भर्ती कराया है। मेरे पिता को कंधे पर चोट आई, वे बाल-बाल बच गए।

घटना के चश्मदीद देवेंद्र ने बताया कि हादसे में उसके चाचा की मौत हो गई, पिता घायल हैं।

गैलरी में खड़े लोग मलबे में दबे
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​पास ही में रहने वाले सुशील कुमार ने बताया कि हादसे के बाद किसी का केवल हाथ नजर आ रहा था तो किसी का सिर। ऐसा लग रहा था कि जो जहां खड़ा था, वहीं दब गया। गैलरी के किनारे पर खड़े लोग भी घायल हो गए।

गैलरी की छत गिरने पर नीचे खड़े लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। जो जहां था, वहीं दब गया।

शोर सुनकर पहुंचे स्थानीय लोग
श्मशान घाट के पास रहने वाले अरनेस्ट जेम्स ने बताया कि बारिश के बीच तेज आवाज हुई और चीख पुकार मच गई। घर से निकलकर देखा तो लोग श्मशान से बाहर की तरफ भाग रहे थे। स्थानीय लोगों ने ही पुलिस और रेस्क्यू टीम को बुलाया। इसके बाद मलबे में दबे लोगों को निकालने का काम शुरू हुआ।

हादसे के बाद रेस्क्यू टीम के साथ प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। मशीनों से मलबे में दबे लोगों को निकाला गया।

कुछ लोगों के हाथ-पैर तक कट चुके थे
श्मशान के पड़ोस में रहने वाले मोरगन का कहना है कि हालात देखकर यह कहना मुश्किल था कि मलबे में दबे लोग जिंदा होंगे। कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके हाथ-पैर कट चुके थे। जेसीबी से मलबा हटाकर लोगों को बाहर निकाला गया।

हादसे के बाद SDRF ने साढ़े तीन घंटे रेस्क्यू अभियान चलाकर दबे हुए लोगों को शेड से निकाला।

महिलाएं भी श्मशान पहुंचीं
हादसे की खबर मिलते ही जयराम के परिजन भी मौके पर पहुंचे। सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। कोई मलबे में अपने भाई की तलाश कर रहा था, तो कोई अपने पिता की। ​महिलाएं भी रोती-बिलखती अपनों को खोज रही थीं। कौन कहां है, किसी को पता नहीं था। हर किसी की जुबां से यही निकल रहा था कि यह क्या हो गया?

हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने अपने स्तर पर राहत और बचाव का काम शुरू किया।

60 फीट लंबी गैलरी ढाई महीने पहले बनी थी
बताया जा रहा है कि ढाई महीने पहले श्मशान घाट पर धूप, बारिश से बचाव के लिए 60 फीट लंबी गैलरी बनाई गई थी। इसे बनाते समय क्वालिटी का ध्यान नहीं रखा गया। गैलरी के गिरते ही इसे बनाने में इस्तेमाल हुई सामग्री चूरे में तब्दील हो गई।

मलबे में दबे गए लोगों को खोजने के लिए रेस्क्यू टीम ने डॉग स्क्वॉड का सहारा लिया।

श्मशान में 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे
मुरादनगर के श्मशान में हादसे के समय 100 से ज्यादा लोग श्मशान में मौजूद थे। ये सभी फल व्यापारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे। गैलरी के गिरने से वहां खड़े लोग मलबे में दब गए और किसी को बचने का मौका नहीं मिला।

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