Categories: खास खबर

कानून नहीं, दलों के बीच आपसी सहमति से लागू होगा वन नेशन-वन इलेक्शन

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए फिलहाल कानून बनाने की संभावना से इनकार करते हुए कहा है कि सभी राजनीतिक दलों में आपसी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।

उन्होंने देश मे एक साथ चुनाव से कई फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे देश और राज्यों की विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। बार-बार चुनाव और उसके कारण लगने वाली आचार संहिता से विकास के काम बाधित नहीं होंगे। एक साथ चुनाव से कालेधन पर भी अंकुश लगेगा।

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संजय मयूख की ओर से रविवार को आयोजित वेबिनार में देश के तमाम बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन कोई नई खोज नहीं है। आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव भी इसी तर्ज पर हुआ था।

1952, 1957, 1962 और 1967 का चुनाव इसी अवधारणा पर कराए जा चुके हैं। क्या राजनीतिक दलों को एक साथ चुनाव के लिए राजी करना आसान होगा? आईएएनएस के इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि दो-तीन स्तर पर राजनीतिक दलों से चर्चा हो चुकी है।

पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस के ही सांसद ने की थी। इसमें कई दलों के सांसद शामिल थे। भूपेंद्र यादव ने कहा, अभी बीएस चौहान के नेतृत्व में लॉ कमीशन ने जो रिपोर्ट दी थी, उसमें भी राजनीतिक दलों की राय थी। जो असहमति होगी उसे दूर करने की कोशिश होगी।

पीएम मोदी के नेतृत्व में जीएसटी, आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण, श्रम सुधार सहित जितने भी रिफार्म्स हुए सभी दलों को सहमत करके हुए। हम लोग इस दिशा में सक्रिय हैं और राजनीतिक दलों से बातचीत कर उन्हें एक साथ चुनाव के लिए सहमत करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से चुनाव सुधार अभियान के तहत ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति तैयार करने के लिए ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी सिलसिले में आयोजित हुए इस वेबिनार में भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन के खिलाफ विपक्ष की आपत्तियों को भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने की स्थिति में धन के अभाव में क्षेत्रीय दलों के चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय दलों से पिछड़ने की आशंका भी बेमानी है। इसके बजाय बार-बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ता है।

एक साथ चुनाव पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने से क्षेत्रीय दलों के नुकसान की आशंका खारिज करते हुए उन्होंने पिछले साल लोकसभा चुनाव के साथ हुए ओडिशा और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया।

कहा कि दोनों राज्यों में मतदाताओं ने लोकसभा के लिए भाजपा को तरजीह दी, जबकि विधानसभा के लिए क्रमश: बीजू जनता दल और टीआरएस के उम्मीदवारों को जिताया। इसी तरह झारखंड में लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा रही, लेकिन चार महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने झामुमो को ज्यादा पसंद किया।

भूपेंद्र यादव ने कहा कि एक साथ चुनाव से राज्यों को बार-बार आचार संहिता का सामना नहीं करना पड़ेगा। राजनीतिक स्थिरता आएगी। उन्होंने कहा कि 2018 में संसद की स्टैंडिग कमेटी ने भी इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें इसके कई फायदे गिनाए थे।

भूपेंद्र यादव ने कहा कि आधिकारिक तौर पर इलेक्शन कमीशन ने पहली बार साल 1983 में इसे लेकर सुझाव दिया था। लॉ कमीशन ने भी साल 1999 में वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत की थी।

दिसंबर 2015 में ‘लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव आयोजित करने की व्यवहार्यता’ रिपोर्ट पर पार्लियामेंट की स्टेंडिंग कमेटी ने एक साथ चुनाव आयोजित करने पर एक वैकल्पिक और व्यावहारिक तरीका अपनाने की सिफारिश की थी।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago