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…तो ओवैसी ऐसे बढ़ायेंगे ममता की मुश्किलें

पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा और टीएमसी के लिए यह चुनाव करो या मरो वाली स्थिति है। जहां भाजपा हर हाल में सत्ता हासिल करना चाहती है तो वहीं ममता हर हाल में अपना किला बचाए रखना चाहती हैं। ममता को भाजपा से चुनौती भी खूब मिल रही है और आने वाले समय में इसमें इजाफा ही होना है।

भाजपा से मिल रही चुनौतियों के बीच ममता की मुश्किलें बढ़ाने के लिए ओवैसी भी मैदान में उतर गए हैं। फिलहाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलों में और इजाफा होने जा रहा है।

ममता बनर्जी की मुश्किल बढ़ाने की तैयारी में असदुद्दीन ओवैसी जुट गए हैं। राज्य के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) भी दाव आजमाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में बंगाल में ओवैसी की एंट्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल बन सकती है।

दरअसल रविवार को ओवैसी बंगाल के एक लोकप्रिय युवा मुस्लिम नेता के शरण में जा पहुंचे। ओवैसी ने हाल के महीनों में सत्तारूढ़ पार्टी के सबसे मुखर आलोचक के रूप में उभरने वाले अब्बासुद्दीन सिद्दीकी से हुगली में मुलाकात की।

दोनों नेताओं के बीच दो घंटे तक बैठक हुई। बैठक के बाद ओवैसी ने कहा कि बंगाल में हमारी पार्टी सिद्दीकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वही यह तय करेंगे कि एआईएमआईएम कैसे चुनाव लड़ेगी।

ओवैसी ने कहा कि, “एआईएमआईएम अब्बास सिद्दीकी के पीछे खड़ा होगा। हम उनके साथ काम करेंगे और उन्हें मजबूत करेंगे। मैंने सिद्दीकी को सभी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र छोडऩे का फैसला किया है। उन परद मुझे पूरा विश्वास है । बिहार में हमने जो हासिल किया है, उसके मुकाबले हमारा प्रदर्शन यहां भी तुलनात्मक होगा। केवल अल्पसंख्यक वोट हमारा लक्ष्य नहीं है। हम आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी लडऩा चाहते हैं। अगर कोई बीजेपी को रोक सकता है, तो वह सिद्दीकी है।”

हालांकि सिद्दीकी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने कहा कि अपने अगले कदम की जल्द घोषणा करेंगे। बैठक की खबर से मुस्लिम नेताओं और टीएमसी मंत्रियों के बीच प्रतिक्रिया शुरू हो गई।

टीएमसी के नेताओं ने ओवैसी पर आरोप लगाया है कि उनका एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोटों को विभाजित करना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करना है।

बंगाल में बीजेपी ने 294 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा चुनाव में ‘अबकी बार 200 के पार’ का मंत्रा कार्यकर्ताओं को दिया है।

बंगाल के लोकप्रिय युवा मुस्लिम नेता अब्बास सिद्दीकी ने हाल के महीनों में टीएमसी पर अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगया है। साथ ही यह भी कहा कि ममता ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है।

संयोग से, सिद्दीकी परिवार के अन्य सदस्यों, विशेष रूप से टोह सिद्दीकी, बुजुर्गों में सबसे प्रमुख और जिन्होंने अतीत में सीपीआई (एम) और टीएमसी को मदद की है, ओवैसी की यात्रा पर चुप्पी बनाए रखी।

हालांकि अब्बास सिद्दीकी के बड़े चचेरे भाई में से एक ने कहा, “फुरफुरा शरीफ के लोग इस तरह से राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकते।”

मालूम हो कि फुरफुरा शरीफ पीर अबू बक्र सिद्दीकी के मकबरे के आसपास बना है। यह 1375 में निर्मित एक मस्जिद भी है। फुरफुरा शरीफ उर्स त्योहार और पीर को समर्पित वार्षिक मेले के दौरान देश भर से लाखों लोगों को आकर्षित करता है।

बंगाल की सियासत में दो फाड़ जैसी स्थिति हो गई है। भाजपा की निगाह राज्य के पांच करोड़ हिंदुओं पर है तो ममता की निगाह मुस्लिम मतदाताओं पर है। यदि ओवैसी की पार्टी चुनाव में मैदान में उतरती है तो निश्चित ही मुस्लित वोटों का विभाजन होगा। और इसमें नुकसान ममता का होगा।

ओवैसी के ऐलान के बाद से टीएमसी में हलचल बढ़ गई है। टीएमसी नेताओं के बयानों में बेचैनी दिखने लगी है। ममता बनर्जी पहले से भाजपा द्वारा उनके पार्टी के नेताओं को तोडऩे से परेशान है और अब ओवैसी के इस कदम से उनकी चिंता बढऩा लाजिमी है।

2011 की जनगणना के दौरान बंगाल की मुस्लिम आबादी 27.01 प्रतिशत थी और अब बढ़कर लगभग 30 प्रतिशत होने का अनुमान है। मुस्लिम आबादी मुख्य रूप से मुर्शिदाबाद (66.28 प्रतिशत), मालदा (51.27प्रतिशत), उत्तर दिनाजपुर (49.92 प्रतिशत), दक्षिण 24 परगना (35.57 प्रतिशत), और बीरभूम (37.06 प्रतिशत) जिलों में केंद्रित है। दार्जिलिंग, पुरुलिया और बांकुरा में, जहां भाजपा ने पिछले साल लोकसभा सीटें जीती थीं, मुसलमानों की आबादी 10 प्रतिशत से भी कम है।

AIMIM की अधिकांश नई शाखाएं मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में स्थित हैं, जबकि सिद्दीकी के अनुयायी पूरे दक्षिण बंगाल में फैले हुए हैं।

भाजपा और टीएमसी का काम देख रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के आई-पैक के सर्वेक्षणों के अनुसार मुस्लिम वोटों में स्विंग 100 से अधिक सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

2019 में लोकसभा की 42 सीटों में से 18 पर बीजेपी की जीत के बाद सीएम ममता बनर्जी ने 2021 की चुनावी तैयारियों के लिए प्रशांत किशोर से करार किया।

ओवैसी के चुनाव लडऩे पर टीएमसी सरकार में मंत्री और बंगाल के सबसे प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेता सिद्दीकुल्ला चौधरी ने कहा कि ओवैसी का राज्य की राजनीति में कोई स्थान नहीं है। एआईएमआईएम का संबंध पश्चिम बंगाल से नहीं है। ये मुस्लिमों में विभाजन पैदा करने की रणनीति है, लेकिन यह काम नहीं करेगा। इसके अलावा, वामपंथी शासन के दौरान राजनीतिक झड़पों में हजारों मुसलमान मारे जाने पर अब्बास सिद्दीकी कहां थे? मुझे यकीन है कि सिद्दीकी परिवार के अन्य सदस्य अब्बास का समर्थन नहीं करेंगे।”

वहीं दूसरे टीएमसी नेता व शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, “न तो सिद्दीकी और न ही एआईएमआईएम बंगाल पर शासन कर सकते हैं। वे केवल बीजेपी की मदद कर सकते हैं। हमने यह उत्तर प्रदेश और बिहार में होता देखा है। ”

वहीं ओवैसी के बंगाल चुनाव में एंट्री से भाजपा उत्साहित है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “ओवैसी किसी भी पार्टी में जा सकते हैं या कहीं भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा चिंतित नहीं है। टीएमसी चिंतित है, क्योंकि वह मुस्लिम वोट बैंक को अपनी संपत्ति मानता है। अगर टीएमसी ने वास्तव में मुसलमानों के कल्याण के लिए काम किया है तो इसे चिंतित क्यों होना चाहिए? ”

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