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मांगों को लेकर संविदा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ईको गार्डेन में भरी हुंकार

लखनऊ। चुनाव पास आते ही कई संगठन अपनी अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना प्रदर्शन के लिए उतरने लगे है।  प्रदेश भर से संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी रविवार को पहली बार अस्पतालों से निकले और एकजुट होकर राजधानी के ईको गार्डेन में हुंकार भरी। इन सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी पांच सूत्री मांगों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया। दोपहर तक किसी सक्षम अधिकारी के मौके पर न पहुंचने पर अधिक संख्या में कर्मचारी वहां से निकलकर मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने के लिए बढ़े। वहां मौजूद पुलिस बल ने सख्ती करते हुए ईको गार्डेन का मुख्य गेट बंद कर कर्मचारियों को वहीं रोक लिया। मौके पर पहुंचे एसीएम ने उग्र कर्मचारियों को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य या चिकित्सा शिक्षा से सोमवार को मिलवाने का आश्वासन देकर शांत कराया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रमुख सचिव से वार्ता विफल रही तो नवंबर में प्रदेश भर के कर्मचारी अस्पतालों में कार्य बहिष्कार करेंगे।

एमएलसी ने किया समर्थन संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंगध/संविदा कर्मचारी संघ उप्र. के बैनर तले प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों से सैकड़ों कर्मचारी सुबह से ईको गार्डेन, गीतापल्ली में इकट्ठा होने लगे। उनके समर्थन में पीसीएस संघ के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह, एमएलसी दीपक सिंह समेत अन्य नेता पहुंचे। पीएफ, ईएसआई के नाम पर घपला संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल व मंत्री मनीष मिश्र का आरोप है कि ठेकेदारी प्रथा से स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा संस्थानों में कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। उन्हें पांच से 10 हजार रुपए के बीच में मानदेय दिया जा रहा है। मैनपॉवर सप्लाई वाली कंपनियां कर्मचारियों के पीएफ, ईएसआई के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला कर रही हैं।

कंपनियां शोषण कर रहीप्रदर्शन में प्रमुख रूप से डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रणजीत सिंह यादव और पीजीआई कांट्रेक्ट यूनियन के महामंत्री गौरव यादव, कर्मचारी नेता प्रदीप यादव, महेंद्र शुक्ला का कहना है कि अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों में मैनपॉवर के लिए कंपनियों के जरिए कर्मचारियों को भर्ती करने की प्रक्रिया भ्रष्टाचार को बढ़ावा है। अस्पतालों में सीधे कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर रखना चाहिए। जिस प्रकार से रोड टैक्स के बाद भी नियम बनाकर जबरन वाहनों का टोल टैक्स वसूला जाता है। ठीक उसी प्रकार कंपनी को बीच में डालकर युवा बेरोजगारों का भविष्य अंधकारमय बनाया जा रहा है।

ये हैं मांग –

-सभी संवर्ग के कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर समायोजित किया जाए। पीजीआई, लोहिया संस्थान और केजीएमयू में कर्मचारियों को सीधे संस्थान द्वारा वेतन भुगतान हो।

– सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत समान कार्य समान वेतन लागू हो।

– न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए लागू हो।

– संविदा कर्मचारियों को 20 आकस्मिक, 16 चिकित्सकीय एवं महिला कर्मचारियों को छह माह का प्रसूति अवकाश दिया जाए।

– विभागीय समायोजन न होने तक आउटसोर्सिंग नीति बनाई जाए और 60 वर्ष तक नौकरी सुरक्षित हो।

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