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डीजीपी ओपी सिंह का फरमानः मजिस्ट्रेट के आदेश बिना राजस्व मामलों से दूर रहे पुलिस

लखनऊ। डीजीपी ओपी सिंह ने राजस्व मामलों में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के निर्देश पर ही पुलिस को दखल देने की हिदायत दी है। उन्होंने राजस्व व दीवानी मामलों में मार्गदर्शन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है। अपने निर्देश में डीजीपी ने कहा है कि जमीन या जल से संबंधित विवादों के निस्तारण के लिए सीआरपीसी की की धारा 145 से लेकर 148 तक विविध प्रावधान हैं। ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी को कार्यपालक मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होती है। कार्यपालक मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार ही पुलिस अधिकारी को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना चाहिए। इसी प्रकार राजस्व मामलों में भी संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होती है।

मजिस्ट्रेट का निर्देश मिलने के बाद ही पुलिस अधिकारी को राजस्व संबंधी विवाद में हस्तक्षेप करना चाहिए। डीजीपी ने कहा है कि जमीन एवं राजस्व संबंधी विवादों को सावधानीपूर्वक चिह्नित कर उसकी रिपोर्ट समय से संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट को भेजी जाए और उनसे आवश्यक आदेश प्राप्त करके तत्परतापूर्वक कार्रवाई की जाए। प्रत्येक थाने पर बीट व्यवस्था सक्रिय करके पुरानी रंजिश के सभी मामलों को चिह्नित कर जरूरी निरोधात्मक कार्रवाई की जाए, जिससे हत्या जैसी गम्भीर घटना घटित नहीं हो पाए। सीआरपीसी की धारा 107ध्116 के तहत केवल औपचारिक कार्रवाई न की जाए बल्कि प्रभावी कार्रवाई की जाए तथा आक्रामक पक्ष को धारा 116 (3) के तहत भारी धनराशि से पाबंद कराया जाए। पाबंद व्यक्तियों द्वारा शर्तों का उल्लंधन करने पर संबंधित पक्षकारों के विरुद्ध तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत कर मुचलका राशि जब्त कराई जाए।

डीजीपी ने कहा है कि सभी सीओ अपने कार्यालय में धारा 107ध्116 के तहत कार्रवाई संबंधी रजिस्टर तैयार कराएं, जिसमें उनके अधीनस्थ थानों से प्राप्त चालानी रिपोर्ट का विवरण दर्ज किया जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि प्रस्तावित कार्रवाई ठोस परिणामों पर आधारित हो। भूमि या राजस्व विवाद से संबंधित कोई प्रार्थना पत्र किसी पक्ष द्वारा थाना पुलिस या पुलिस अधिकारियों को प्राप्त होने पर तथ्यों की जांच कर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट को जल्द से जल्द भेजी जाए। किसी भूमि के विधिक स्वामी के अधिकारों में बिना न्यायालय अथवा मजिस्ट्रेट के आदेश के अनावश्यक हस्तक्षेप न किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जमीन संबंधी विवाद को लेकर कोई गम्भीर घटना न घटित हो पाए।

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