Categories: राजनीति

2022 के चुनावी रण में कितना असर दिखाएगी समाजवादी पार्टी की रणनीति ?

कुमार भवेश चंद्र

उत्तर प्रदेश धीरे-धीरे ही सही विधानसभा चुनाव की तैयारियों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश में विधानसभा होने में अब केवल एक साल का वक्त है। पिछली बार 11 फरवरी को पहले दौर की वोटिंग हुई थी और इस लिहाज से सभी पार्टियों को तैयारी के लिए अब साल भर से भी कम समय बचा है।

वैसे तो मार्च-अप्रैल में पंचायत चुनाव के बहाने लगभग सभी पार्टियों ने जमीन पर गतिविधियां तेज कर दी हैं। लेकिन राजधानी के सियासी गलियारों में सत्ताधारी पार्टी के भीतर मचे घमासान से साथ यह चर्चा भी जोरों पर है कि इस बार बीजेपी का मुख्य मुकाबला किस दल से होगा?

इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यूपी में सिंहासन के लिए सीधी और दोतरफा लड़ाई के आसार नहीं हैं। यानी यहां सत्ता की दौड़ बहुकोणीय मुकाबले से होकर गुजरेगी।

बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने की दौड़ में सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ छोटे दलों का एक गठबंधन भी अपनी तैयारियों में जुटा है। इसमें दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी भी कोई कोण बनाने की कोशिश में है।

इन सबके बीच एक चर्चा जरूर जोरों पर है कि सत्ता के लिए बीजेपी से सबसे कड़ा मुकाबला सपा की ओर से ही मिलेगा। बाकी दलों के मुकाबले समाजवादी पार्टी अधिक तैयारी के साथ बीजेपी को टक्कर देने की तैयारी में जुटी है।

देखा जाए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की सबसे मजबूत रणनीति भी सपा ने ही बनाई थी। बरसों की सियासी शत्रुता को समाप्त कर अखिलेश ने मायावती की की पार्टी बसपा के साथ मिलकर बीजेपी को मात देने की व्यूह रचना की। यह बात और है कि उसकी रणनीति जमीन पर काम नहीं कर पाई और नतीजा सिफर ही रहा।

लेकिन कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी अपनी गलतियों से सबक लेकर एक बार फिर बीजेपी को जोरदार टक्कर देने की तैयारी में जुटी है। लोकसभा चुनाव के बाद बसपा से गठबंधन टूटने के बाद से ही सपा ने अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया।

उसने सामाजिक ताकत के आधार पर दलों को साथ लेने के बजाय अलग अलग समाजों में अपनी ताकत बढ़ाने की पहल तेज की है। गठबंधन टूटने के कुछ ही महीने के भीतर सपा ने अलग-अलग जातीय और जमीनी आधार वाले नेताओं को अपनी पार्टी में जगह देना शुरू किया।

बस्ती क्षेत्र में बेहद प्रभाव रखने वाले पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी के साथ आठ पूर्व विधायकों और एक पूर्व सांसद को एक साथ पार्टी में शामिल करने का आयोजन कर अखिलेश यादव ने तो अपने विरोधी खेमे में हड़कंप ही मचा दिया था।

समाजवादी पार्टी में दूसरे दलों को शामिल करने का यह दौर लंबा चला और अखिलेश ने अलग-अलग समाज में प्रभाव रखने वाले लोगों को अपनी पार्टी में जगह देकर जमीन पर अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा दिए।

इसके बाद अखिलेश यादव ने अपने संगठन पर काम करना शुरू किया। कोरोना का असर कम होते ही अखिलेश यादव ने बड़ी खामोशी से अलग अलग जिलों का दौरा शुरू किया।

पार्टी का दावा है कि अभी तक 58 जिलों में संगठन के ढीले तार को कसकर सपा सुप्रीमो ने चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए तैयार कर लिया है। सपा को मालूम है कि बूथ स्तर पर तैयार बीजेपी का मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है।

और इसीलिए वह अपने संगठन के ढीले तार को कसने पर खास जोर दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी संगठन के साथ बीजेपी से मुकाबले के लिए ऐसे मुद्दे पर भी काम कर रही है, जिससे उसे जमीन पर ताकत मिले।’

इसी सिलसिले में पार्टी ने नौजवानों और किसानों के मुद्दे को गरमाने की रणनीति पर काम करना शुरू किया है। एक तरफ वह नौजवानों के सवाल पर मुखर है तो दूसरी ओर किसानों के सवाल पर भी लड़ाई तेज कर दी है।

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन दिखाने के लिए पार्टी ने यूपी में ट्रैक्टर रैली का ऐलान कर अपनी इसी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। इस वक्त यह कहना तो कठिन है कि चुनावी लड़ाई में कौन कितना आगे रह पाएगा। लेकिन सपा की तैयारियों से साफ है कि उसकी नज़र मुख्य मुकाबले में सामने रहने वाली पार्टी पर है।

यों तो उत्तर प्रदेश में पिछले 35 सालों से पिछली सरकार के रिपीट होने का रिकार्ड नहीं है लेकिन बीजेपी अपने संगठन की ताकत के बूते नया इतिहास बनाने का प्रयत्न करेगी। देखना दिलचस्प होगा कि 2022 का बहुकोणीय चुनाव में किसकी लॉटरी लगती है।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago