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इस साल से बदलने लगेगा जॉब कल्चर, घर से होगा 50% तक काम

नई दिल्ली। 2020 दुनिया में काम के नए तरीकों और विकल्पों को तलाशने का साल भी रहा। पूरी दुनिया जब घर में बैठने को मजबूर हुई, तब अर्थव्यवस्थाएं दम तोड़ने लगीं और लोग बेरोजगार होने लगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यानी (WEF) के मुताबिक, पिछले साल की आखिरी तिमाही में ग्लोबल लेवल पर ढाई करोड़ नौकरियां गईं।

जिन लोगों की जॉब गई, उन्होंने काम के दूसरे विकल्पों की तरफ रुख किया। नतीजन काम का पैटर्न, तकनीक और तरीके बदल गए। अमेरिकी मार्केट एजेंसी ग्लासडोर ने 2021 के वर्किंग ट्रेंड में कई पॉजिटिव बदलावों के बारे में बताया है। इसमें फुल टाइम वर्क फ्रॉम होम, हाइब्रिड वर्क कल्चर और वर्किंग में तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल करने की बातें हैं। WEF के आंकड़ों के मुताबिक, अगले 5 सालों में टॉप-10 सेक्टर में औसतन 50% तक काम रिमोट वर्किंग के जरिए होने लगेगा।

क्या होती है हाइब्रिड रिमोट वर्किंग?

हाइब्रिड वर्क का मतलब किसी वर्क स्टेशन में बैठकर दुनिया के किसी भी कंपनी के लिए काम करना। उदाहरण के तौर पर अगर आपको किसी विदेशी कंपनी में जॉब मिल जाती है, तो कंपनी आपको वहां नहीं बुलाएगी, वह आपको आपके आस-पास ही एक वर्क स्टेशन देगी, जहां आप उसके लिए काम करेंगे। इसे ही हाइब्रिड रिमोट-वर्किंग कहते हैं।

WEF के जॉब रिसेट समिट के मुताबिक 84% एम्प्लॉयर अपनी वर्किंग को डिजिटलाइज करने जा रहे हैं। ग्लोबल इंडस्ट्री में 44% वर्कफोर्स ऐसा होगा, जो बगैर ऑफिस आए काम करेगा। लेनेवो इंडिया के CEO राहुल अग्रवाल कहते हैं कि हाइब्रिड वर्क कल्चर पहले भी था, लेकिन कोरोना में इसकी अहमियत समझ में आई। 2021 के अंत तक इसका ट्रेंड सेट होना शुरू हो जाएगा।

वर्क फ्रॉम होम सबसे कारगर विकल्प साबित हुआ

कोरोना के चलते दुनिया भर में जिन विकल्पों पर प्रयोग किया गया, उनमें से वर्क फ्रॉम होम सबसे कारगर साबित हुआ। सर्विस सेक्टर में काम कर रहे दुनिया के करोड़ों लोगों ने घर पर ही रहकर इंडस्ट्री को एक रफ्तार दी। इस विकल्प को इंडस्ट्री अब एक स्थाई वर्क कल्चर के तौर पर देख रही है।

वर्क फ्रॉम होम एक ऐसा टूल है, जिसमें ऑफिस स्पेस और इंफ्रास्ट्रचर का खर्च बच जाता है, साथ ही यह प्रोडक्टिव भी है। एम्प्लाई के लिहाज से भी यह एक शानदार पहल होगी, इसमें एम्प्लाई का कन्वेंस, रेंट और समय बचेगा। WEF के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अब आपको खुद पर इस लिहाज से काम करना चाहिए, ताकि आप आने वाले वर्क कल्चर में फिट हो सकें।

नए वर्क कल्चर में खुद को फिट करने के लिए इन 4 बातों का रखें ध्यान-

1- स्किल अपडेट करें

अगले 5 साल में इंडस्ट्री पूरी तरह से ट्रांसफार्म हो जाएगी, यानी इंडस्ट्री का स्वरूप बदल जाएगा। इसके चलते वर्किंग भी बदल जाएगी। जाहिर है इसी हिसाब से आपको स्किल्ड होना होगा।

2 – प्रोडक्टिविटी को इंप्रूव करें

2014 में अमेरिका में वर्क फ्रॉम होम को लेकर स्टडी की गई। स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर निकोलस ब्लूम ने स्टडी में पाया कि चीन की एक ट्रैवल वेबसाइट के लिए घर से काम कर रहे एम्प्लाई ज्यादा प्रोडक्टिव और खुश हैं। अब आप 2020 में आ जाइए, कोरोना के दौर में अमेरिकी कंसल्टेंट कंपनी मरकर ने घर से काम करने वालों पर स्टडी की। इसमें पाया गया कि 90% एम्प्लाई वर्क फ्रॉम होम से खुश हैं और ज्यादातर की प्रोडक्टविटी भी बढ़ी है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड वर्क में काम करते हुए प्रोडक्टिविटी पर फोकस बढ़ जाएगा। इसमें रीच यानी पहुंच की चुनौती नहीं होगी, इसलिए कंपटीशन भी बढ़ जाएगा। जैसे पिछले दिनों विदेशों में नौकरी वही कर सकता था, जो वहां तक पहुंच पाए, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आने वाले समय में सभी के लिए पहुंच की समस्या खत्म हो जाएगी। ऐसे में अगर आप घर बैठे ही जॉब और ग्रोथ ढूंढ रहे हैं, तो आपको ज्यादा प्रोडक्टिव होना पड़ेगा।

3 – वर्क और लाइफ में बैलेंस

कोरोना के दौरान बहुतों को वर्क फ्रॉम होम का भी विकल्प नहीं मिल पाया, लेकिन जिन्हें यह मौका मिला, उसमें से ज्यादातर लोग लाइफ और वर्क में बैलेंस नहीं बना सके। अमेरिकी रिसर्चर जोस मारिया बारेरो के मुताबिक, ग्लोबल लेवल पर वर्क फ्रॉम होम करते हुए प्रोडक्टिविटी घटी भी है और बढ़ी भी है। जो लोग वर्क और लाइफ में बैलेंस बनाने में सफल रहे, उनकी प्रोडक्टिविटी ज्यादा रही और जो लोग ऐसा नहीं कर पाए, उनकी प्रोडक्टिविटी उतनी अच्छी नहीं रह सकी।

बारेरो और उनकी टीम ने दुनियाभर के 1 लाख कर्मचारियों पर अध्ययन किया। इसमें से 55% लोग ज्यादा प्रोडक्टिव, जबकि 45% लोग कम प्रोडक्टिव मिले। अगर आप को नए वर्क कल्चर में खुद को फिट करना है और आप घर बैठे काम करना चाहते हैं। हाइब्रिड वर्क कल्चर के जरिए दुनिया के किसी भी कंपनी में जॉब चाहते हैं, तो वर्क और लाइफ में बैलेंस जरूरी है।

4- आने-जाने का टाइम कम करें

अगर आप हाइब्रिड वर्किंग के लिए किसी जॉब में चुने जाते हैं, तो आपको अप-डाउन करना पड़ेगा। वर्क स्टेशन तक पहुंच कर ज्यादा प्रोडक्टिव रहना होगा। अमेरिकी मार्केट एजेंसी ग्लासडोर के मुताबिक, अगर आप अपने ट्रैवल टाइम को कम कर लेते हैं तो आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ जाएगी।

कम ट्रैवल टाइम मतलब, बेटर एम्प्लाई हेल्थ और हाई एम्प्लाई मोरल। यानी अगर आप घर से निकल कर जल्दी वर्क स्टेशन तक पहुंच रहे हैं, तो आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और आत्मविश्वास भी। इससे आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी। ट्रैवल टाइम को कम करने के लिए आप वर्क स्टेशन के आसपास घर ले सकते हैं। काम का टाइम तब शेड्यूल कर सकते हैं, जब ट्रैफिक कम हो।

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