वॉशिंगटन। अमेरिका में 20 जनवरी को कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 2.5 करोड़ हो गई। ठीक एक साल पहले 20 जनवरी 2020 को ही देश में पहले मरीज में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। यह शख्स चीन के वुहान से घर लौटा था। बीमार पड़ने पर वह सिएटल के एक क्लीनिक में इलाज के लिए पहुंचा था। यहीं से अमेरिका में इस महामारी की शुरुआत हुई।
अमेरिका में वायरस की एंट्री का ऐलान करते हुए अफसरों ने लोगों को अलर्ट रहने के लिए कहा था। हालांकि, उनका मानना था कि लोगों को इससे कोई खतरा नहीं होगा। इसके बाद अमेरिका में धीरे-धीरे मरीजों की संख्या रिकॉर्ड बनाने लगी। सबसे ज्यादा मरीज और सबसे ज्यादा मौतों में यह देश पहले नंबर पर हो गया। हर दिन के साथ यह आंकड़ा बढ़ता गया। अभी दुनिया में मिले मरीजों में अमेरिका की हिस्सेदारी 25% है। कोरोना के नए वैरिएंट के यहां बड़ा खतरा बनने की आशंका है।
जीनोम सीक्वेंसिंग से खतरे का पता चला
वुहान से लौटा शख्स वॉशिंगटन की नोहोमिश काउंटी का रहने वाला था। इसी से संक्रमितों को आइसोलेट करने और कॉन्टैक्ट में आए लोगों की ट्रेसिंग की शुरुआत हुई। इसके बाद चीन से आए दूसरे लोगों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने लगीं। जीनोमिक सीक्वेंसिंग ने दिखाया कि वायरस की नई ब्रांच ने अमेरिका के पूर्वी हिस्से में जड़ें जमा ली हैं।
फरवरी के आखिर तक सिएटल वायरस का एपीसेंटर बन गया। जीनोमिक सीक्वेंसिंग से ही पता चला कि पहला मरीज, जो अब 36 साल का है, वायरस की उस ब्रांच का हिस्सा था जो पूरे एरिया में फैल गई थी। टाइमिंग और जेनेटिक वैरिएशन को देखते हुए रिसर्चर्स ने माना कि यह वायरस किसी अज्ञात शख्स से भी फैल सकता है।
पहले पांच हफ्ते में महज 45 केस थे
अमेरिका में पहले पांच हफ्तों में कोरोना के 45 मामले सामने आए। अब तक एक भी मौत नहीं हुई थी। वहीं, पिछले पांच हफ्तों में देश में 74 लाख से ज्यादा केस मिले हैं। इस दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई। बीते 24 घंटे में ही यहां 1,84,237 नए मामले और 4,357 मौतें दर्ज की गई हैं।
मौतों के मामले में यह दूसरा सबसे खराब दिन था। इसी दिन अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश की सत्ता संभाली और कोरोना से बेहतर ढंग से निपटने का वादा किया था।
ट्रम्प भी पॉजिटिव हो गए
अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रम्प भी कोरोना से नहीं बच पाए। उनकी पत्नी मेलानिया भी पॉजिटिव मिली थीं। चुनाव की वजह से ट्रम्प लगातार सफर कर रहे थे। दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट से 13 दिन पहले उनकी रिपोर्ट आई। इसके बावजूद वे मास्क पहनने वालों का मजाक उड़ाते रहे। शुरुआत में तो वे कोरोना वायरस को मामूली फ्लू बताते रहे। बाद में यह चुनावी मुद्दा भी बना।
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