कानपुर। बिकरु गांव में बीते साल 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे व उसके साथियों ने 8 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की नाबालिग पत्नी को पुलिस ने जेल भेजा था। नाबालिग ने अपने एक वकील के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। जिस पर कोर्ट ने कानपुर पुलिस से जवाब तलब किया है। मार्च माह में याचिका पर सुनवाई होनी है।
पुलिस ने फर्जी तरीके से फंसाया
नाबालिग के अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्रा ने बताया कि बिकरु कांड में अमर दुबे की पत्नी को पुलिस ने फर्जी तरीके से फंसाया है। जबकि कोई भी आधार पुलिस के पास नहीं है और न ही नाबालिग का इस मामले से कोई लेना देना है। घटना से 4 दिन पहले ही उसकी शादी हुई थी और परिवार में ज्यादा लोगों को वह जानती भी नहीं थी।
फिर भी पुलिस ने बिकरु कांड में उसके खिलाफ डकैती के लिए हत्या, षड्यंत्र रचना जैसी धाराओं में आरोपित बनाया दिया है। पुलिस को कोई भी साक्ष्य उसके खिलाफ नहीं मिला है।
दरअसल, किशोर न्याय बोर्ड ने अमर की पत्नी को नाबालिग घोषित किया था। उसका मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराया गया था। मनोवैज्ञानिक परीक्षण में खुशी की मानसिक स्थित उच्च स्तर की पाए जाने पर किशोर न्याय बोर्ड ने उसकी जमानत खारिज कर दी थी। कोर्ट के आदेश पर वर्तमान में उसे बाल सुधार गृह बाराबंकी में रखा गया है।
पुलिस तैयार कर रही है जवाब
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को खारिज कराने के लिए पुलिस सरकारी अधिवक्ताओं से बातचीत कर जवाब तैयार कर रही है और जल्द ही चार्जशीट और कॉल डिटेल के आधार पर नाबालिग की बेल खारिज कराने का प्रयास करेगी।
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