इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल के लिए बनेगी नीति, सीएम योगी को सौंपी रिपोर्ट में सिफारिश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों की कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए पूर्व मुख्य सचिव और अध्यक्ष रेरा राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति ने इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल के लिए नीति बनाने की सिफारिश की है। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंटरनेट मीडिया के लिए नीति बनाने में केंद्र सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से तैयार किये गए दिशा-निर्देशों के ढांचे का इस्तेमाल किया जाए।

इस नीति को तैयार करने के लिए समिति ने इंटरनेट मीडिया के दायरे में आने वाले विभागों और प्लेटफॉर्म को चिह्नित करने के लिए कहा है। इंटरनेट मीडिया का लाभ उठाने के लिए सरकारी एजेंसियों की शिक्षा व क्षमता वृद्धि की सलाह दी है। शासनादेशों का मानकीकरण करने और उन्हें इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म से जोडऩे का मशविरा दिया है।

लोक कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से करने और इस पर पहुंचने के लिए स्थानीय भाषा के उपयोग की सलाह दी है। इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते हुए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ व सिटिजन फीडबैक मैकेनिज्म तैयार करने के लिए कहा है। इसके जरिये रोजगार के विभिन्न अवसरों के लिए युवाओं को जागरूक करने की भी सलाह दी है।

इंटीग्रेटेड सीसीटीवी आधारित सर्विलांस सिस्टम का सृजन : समिति ने सुरक्षा और जमीनी स्तर पर गतिविधियों की प्रभावी निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड सीसीटीवी आधारित सर्विलांस सिस्टम सृजित करने की वकालत की है। इसे विकसित करने के लिए वर्तमान में रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, हवाई अड्डों, राजमार्गों, अस्पतालों, स्कूलों आदि में उपलब्ध सीसीटीवी सेटअप को संसाधनों की फिजूलखर्ची से बचाने के लिए एक सामान्य नेटवर्क पर लाने का सुझाव दिया गया है।

वर्तमान में उपलब्ध इन सीसीटीवी अवस्थापनाओं को केंद्रीय कमांड सेंटर से जोड़ा जा सकता है। प्रदेश में 10 करोड़ रुपये से अधिक लागत की सभी अवस्थापना परियोजनाओं की निगरानी के लिए प्रत्येक परियोजना स्थल पर 10-15 सीसीटीवी कैमरे लगाये जा सकते हैं। खुफिया एजेंसियों की मदद, आतंकी हमलों को रोकने व संदिग्ध की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए इस केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली को नेशनल ग्रिड से जोड़ा जा सकता है।

यह भी सिफारिशें

  • कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के लिए केंद्रीकृत ‘सिटिजन डाटा हब’ बनाया जाए जिसका उपयोग निगरानी के लिए न किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि नागरिकों की निजता न भंग हो।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्रों में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल।
  • ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म में और अधिक सेवाओं को शामिल करके ऑनलाइन नागरिक केंद्रित सेवाओं को बढ़ाया जाए।
  • एसेट मैनेजमेंट के लिए एकीकृत शासकीय संपत्ति प्रबंधन प्रणाली का सृजन।
  • एकीकृत मानव संसाधन एवं वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का सृजन।
  • राज्य सरकार की ओर से जनसामान्य को सेवाएं देने वाले विभिन्न प्लेटफॉर्म जैसे कि जनसुनवाई केंद्र, ई-डिस्ट्रिक्ट और विभागीय हेल्पलाइन को एकीकृत किया जाए।
  • ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड का अधिकतम उपयोग किया जाए।
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